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अनुसूचित जातियों का विकास
संवैधानिक प्रावधान
भारत सरकार अधिनियम 1935
के भाग 14 में अनुसूचित जाति की परिभाषा दी गई थी. संविधान के लागू होने तक इसी परिभाषा का उपयोग किया गया.
अनुच्छेद 15(4)
- (संविधान पहला संशोधन अधिनियम 1951 की धारा 2 व्दारा जोड़ा गया) अनुच्छेद 15 कहता है कि राज्य (किसी नागरिक के विरुध्द केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्म्स्थान या इनमें से किसी के आधार पर कोई विभेद नहीं करेगा. परन्तु अनुच्छेद 15(4) कहता है कि इस अनुच्छेद या अनुच्छेद 29 के खंड (2) की कोई बात राज्य को सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े हुए नागरिकों के किन्हीं वर्गों की उन्नति के लिए या अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए कोई विशेष उपबंध करने से निवारित नहीं करेगी.
अनुच्छेद 16(4)
- अनुच्छेद 16 कहता है कि राज्य के अधीन किसी पद पर नियोजन या नियुक्ति से संबंधित विषयों में सभी नागरिकों के लिए अवसर की समता होगी और राज्य के अधीन किसी नियोजन या पद के संबंध में केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान या निवास या इनमें से किसी के आधार पर न तो कोई नागरिक अपात्र होगा और न उससे विभेद किया जायेगा. परन्तु अनुच्छेद 16(4) कहता है कि इस अनुच्छेद की कोई बात राज्य को पिछड़े हुए नागरिकों के किसी वर्ग के पक्ष में, जिनका प्रतिनिधित्व राज्य की सेवाओं में पर्याप्त नहीं है, नियुक्तियों या पदों के आरक्षण के लिए उपबंध करने से निवारित नहीं करेगी.
अनुच्छेद 16(4 क)
- (संविधान सतहत्तरवां संशोधन अधिनियम 1995 की धारा 2 व्दारा जोड़ा गया) इस अनुच्छेद की कोई बात राज्य को अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के पक्ष में, जिनका प्रतिनिधित्व राज्य की सेवाओं में पर्याप्त नहीं है, राज्य के अधीन सेवाओं में किसी वर्ग के पदों पर पारिणामिक ज्येतष्ठता सहित, प्रोन्नति के मामलों में आरक्षण के लिए उपबंध करने से निवारित नहीं करेगी.
अनुच्छेद 16(4 ख)
- (संविधान इक्यासीवां संशोधन अधिनियम 2000 की धारा 2 व्दारा जोड़ा गया) इस अनुच्छेद की कोई बात राज्य को किसी वर्ष में किन्हीं ऐसी रिक्तियों को, जो खंड (4) या खंड (4क) के अधीन किए गए आरक्षण के लिए किसी उपबंध के अनुसार उस वर्ष में भरी जाने के लिए आरक्षित हैं, किसी उत्तरवर्ती वर्ष या वर्षों में भरें जाने के लिए पृथक वर्ग की रिक्तियों के रूप में विचार करने से निवारित नहीं करेगी और ऐसे वर्ग की रिक्तियों पर उस वर्ष की रिक्तियों के साथ जिसमें वे भरी जा रही हैं, उस वर्ष की रिक्तियों की कुल संख्या के संबंध में पचास प्रतिशत की अधिकतम सीमा का अवधारण करने के लिए विचार नहीं किया जायेगा.
अनुच्छेद 46
-यह संविधान के भाग 4 (राज्य के नीति निदेशक तत्व) में हैं. यह अनुच्छेद कहता है – राज्य, जनता के दुर्बल वर्गों के, विशिष्ट तया अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के शिक्षा और अर्थ संबंधी हितों की विशेष सावधानी से अभिवृध्दि करेगा और सामाजिक अन्याय और सभी प्रकार के शोषण से उनकी संरक्षा करेगा.
अनुच्छेद 243 न
-नगर पालिकाओं ने अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के लिये स्थानों का अरक्षण.
अनुच्छेद 243 घ
-पंचायतों में अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के लिये स्थानों का आरक्षण.
अनुच्छेद 330
-लोक सभा में अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के लिए स्थानों का आरक्षण.
अनुच्छेद 332
-राज्यों की विधान सभाओं में अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के लिए स्थानों का आरक्षण.
अनुच्छेद 334
-यह अनुच्छेद कहता है कि लोक सभा और विधान सभाओं में आरक्षण के प्रावधान संविधान के इस उपबंध के प्रारंभ से साठ वर्ष की अवधि की समाप्ति पर प्रभावी नहीं रहेंगे.
अनुच्छेद 335
-संघ या किसी राज्य के कार्यकलाप से संबंधित सेवाओं और पदों पर नियुक्ति के लिए अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों के दावों का प्रशासन की दक्षता बनाए रखने की संगति के अनुसार ध्यान रखा जायेगा. परन्तुर इस अनुच्छेद की कोई बात अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों के पक्ष में संघ या किसी राज्य के कार्यकलाप से संबंधित सेवाओं के किसी वर्ग या वर्गों पर प्रोन्नति के मामलों में आरक्षण के लिए किसी परीक्षा के अर्हक अंकों में छूट देने या मूल्यांकन के मानकों को घटाने के लिए उपबंध करने से निवारित नहीं करेगी. (यह परन्तुक संविधान बयासीवां संशोधन अधिनियम 2000 की धारा 2 व्दारा जोड़ा गया)
अनुच्छेद 338
-अनुसूचित जाति आयोग के संबंध में.
अनुच्छेद 341
- अनुसूचित जातियां – (1) राष्ट्रपति किसी राज्य या संघ राज्य क्षेत्र के संबंध में और जहां राज्य है वहां उसके राज्यपाल से परामर्श करने के पश्चात् लोक अधिसूचना व्दारा उन जातियों, मूलवंशों या जनजातियों अथवा जातियों, मूलवंशों या जनजातियों के भागों या उनमें के यूथों को विनिर्दिष्ट कर सकेगा जिन्हें इस संविधान के प्रयोजनो के लिये यथास्थिति उस राज्य या संघ राज्यक्षेत्र के संबंध में अनुसूचित जातियां समझा जायेगा. (2) संसद विधि व्दारा किसी जाति, मूलवंश या जनजाति को अथवा जाति, मूलवंश या जानजाति के यूथ को खंड (1) के अधीन निकाली गई अधिसूचना में विनिर्दिष्ट अनुसूचित जातियों की सूची में सम्मिलित कर सकेगी या उसमें से अपवर्जित कर सकेगी, किन्तु जैसा ऊपर कहा गया है उसके सिवाय उक्त खंड के अधीन निकाली गई अधिसूचना में किसी पश्चातवर्ती अधिसूचना व्दारा परिवर्तन नहीं किया जायेगा.
अनुसूचित जातियों के संरक्षण के लिये अन्य विधिक प्रावधान
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम, 1989
हाथ से मैला ढोने वाले कर्मी के रूप में नियोजन पर प्रतिबंध तथा उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013
सामान्य जानकारी
यह वे जाति समूह है जो हिन्दू धर्म में जाति प्रथा के कारण शोषण, अवहेलना, छुआ-छूत एवं अत्याचार झेलते रहे हें और अवसरों की कमी के कारण पिछड़े रह गये हैं. इन जातियों के लोगों को अस्पृश्यता के कारण सार्वजनिक कुओं से पानी लेने तक से रोका जाता था, मंदिरों में प्रवेश नहीं करने दिया जाता था, और स्कूलों में भी अलग से पीछे बैठाया जाता था.
महात्मा गांधी ने अछूतोध्दार एवं हरिजन कल्याण को भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का अभिन्न अंग बनाया था.
छत्तीसगढ़ में कुल 44 अनुसूचित जातियां अधिसूचित हैं. वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में अनुसूचित जातियों की जनसंख्या लगभग 16.66 करोड़ है और छत्तीसगढ़ में लगभग 32.74 लाख है. छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जातियों की जनसंख्यान कुल जनसंख्या की लगभग 12.82% है.
छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जातियों की सर्वाधिक जनसंख्या. जांजगीर-चांपा ज़िले में 3.97 लाख, रायपुर ज़िले में 3.58 लाख और बिलासपुर ज़िले में 3.58 लाख है. सबसे कम सुकमा ज़िले में 2776, नारायणपुर ज़िले में 4979 और बीजापुर ज़िले में 10122 है.
छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जातियों की जनसंख्या का प्रतिशत सबसे अधिक मुगेली ज़िले में 27.76%, जांजगीर-चांपा ज़िले में 24.57% और बलोदा बाज़ार ज़िले में 23.37% है. सबसे कम प्रतिशत सुकमा ज़िले में 1.11%, बस्तर ज़िले में 1.77% और नारायणपुर ज़िले में 3.56% है.
अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण – इसका गठन 2004 में किया गया था. इसका कार्यक्षेत्र पूरा छत्तीसगढ़ राज्य है. इसके अंर्तगत जिन गांवों में अनुसूचित जाति की जनसंख्या 25% से अधिक हो वहां अधोसंरचना विकास संबंधी कार्य किये जाते हैं. वर्ष 2017-18 के लिये इसका बजट 3500 करोड़ रुपये है. इसके उपाध्यक्ष विधायक श्री सनम जांगड़े हैं.
अनुसूचित जातियों के लिये विशेष योजनाएं
सामाजिक आर्थिक सहायता योजनाएं
आकस्मिकता योजना नियम 1995
- अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के व्यक्तियों पर गैर अनुसूचित जाति/जनजाति के व्यक्तियों व्दारा उत्पीड़न, हत्या, बलात्कार, अपमानित करने, शारीरिक आघात पहुंचाने, संपत्ति को हानि पहुंचाने आदि के मामलों में विभाग व्दारा आकस्मिता योजना नियम के प्रावधानों के अनुसार पीड़ितों को तत्काल आर्थिक सहायता प्रदान की जाती हैं साथ ही उत्पीड़ित व्यक्ति, उनके परिवार, आश्रितों को विभिन्न धाराओं में पुनर्वास के तहत मासिक निर्वाह भत्ता, रोजगार, पेयजल, कृषि भूमि, बच्चों की शिक्षा, सामाजिक पुनर्वास, स्वरोजगार, विकलांगों को कृत्रिम अंग आदि हेतु सहायता उपलब्ध करायी जाती है. वर्ष 2016-17 में अनुसूचित क्षेत्र के 13 पूर्ण एवं 06 आंशिक जिलों के अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के कुल 622 पीड़ितों/आश्रितों को अधिनियम के अंतर्गत राशि रू. 492.42 लाख की राहत राशि प्रदान की गई है. संशोधन अधिनियम/नियम के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए राज्य शासन द्वारा अगस्त 2016 में आकस्मिकता योजना नियम के नियम 7 में संशोधन अनुसार बढ़ी हुई दरों पर पीड़ितों/आश्रितों को राहत सहायता राशि दी जा रही है.
अन्तर्जातीय विवाह
- सवर्ण युवक को अनुसूचित जाति/जनजाति से विवाह करने पर 50,000 रुपये का नकद इनाम दिया जाता है.
सदभावना शिविरों का आयोजन
- अस्पृश्यता निवारण एवं मेलजोल को बढ़ावा देने के लिये अनुसूचित जाति बहुत गांवों में सदभावना शिविरों का आयोजन किया जाता है.
स्वरोज़गार मूलक वित्तीय सहायता योजनाएं
अंत्यवसायी योजना
- छ.ग. राज्य अंत्यवसायी सहकारी वित्त एवं विकास निगम रायपुर अनुसूचित जनजाति वर्ग के आर्थिक विकास के दायित्व का निर्वहन कर रहा है. राज्य शासन व्दारा प्रदेश के युवा बेरोजगारों को प्रशिक्षण हेतु उद्यमी विकास संस्थान की समस्त इकाईयां एवं पूर्व में विभाग द्वारा संचालित प्रशिक्षण सह-उत्पादन केन्द्रों का विलय इस निगम में कर दिया गया है. निगम की पूंजी का 51 प्रतिशत राज्य की अंश पूंजी हिस्सा एवं 49 प्रतिशत केन्द्रीय अंशपूंजी हिस्सा है. निगम व्दारा छत्तीसगढ़ राज्य के निर्धारित मापदंड में आने वाले अनुसूचित जनजाति हितग्राही वर्ग के आर्थिक उत्थान में वित्तीय ऋण सहायता निर्धारित प्रक्रिया के अंतर्गत दी जाती है. वर्ष 2016-17 (दिसंबर 2016 की स्थिति) में आदिवासी स्वरोजगार योजना अंतर्गत 1832 हितग्राही लाभान्वित हुए है 180.21 लाख अनुदान एवं 799.32 लाख ऋण के रूप उपलब्ध कराया गया है.
लोक मित्र (नाई पेटी) योजना
- नाइयों को बाल काटने की पेटी एवं औज़ार प्रदाय करना.
रविदास चर्म शिल्प योजना
- चर्मकारों को नि:शुल्क मोची पेटी का प्रदाय.
क्षेत्रीय विकास (निर्माण) योजनाएं
प्रधान मंत्री आदर्श ग्राम योजना
- ग्राम के सर्वाग्रीण विकास के लिये प्रत्येक लोक सभा में प्रतिवर्ष 1 गांव का चयन किया जाता है. अभी तक 100 गांवों का चयन किया जा चुका है.
सामुदायिक मंगल भवन निर्माण
- अनुसूचित जाति बहुल गांवों में सांस्कृतिक समामजिक कार्यों के लिये मंगल भवन का निर्माण किया जाता है.
व्यावसायिक प्रशिक्षण योजनाएं
स्वरोज़गार के लिये और नौकरी पाने के लिये अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों को नि:शुल्क प्रशिक्षण देने की योजनाएं
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पायलेट एवं एयर होस्टेस योजना – 2007-08 में प्रारंभ
नर्सिंग पाठ्यक्रम अध्ययन सुविधा – 2009-10 में प्रारंभ
हास्पिटेलिटी एवं होटल मेनेजमेंट – 2006-07 में प्रारंभ
नि:शुल्क वाहन चालन प्रशिक्षण योजना – 8 वीं पास अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगों के लिये
युवा कैरियर निर्माण योजना
- वर्ष 2003 में यह योजना परीक्षा पूर्व प्रशिक्षण के नाम से संचालित थी। योजना अंतर्गत संघ एवं राज्य लोक सेवा आयोग तथा अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी मुख्य रूप से शासकीय शिक्षकों को गेस्ट फैकल्टी के रूप में आमंत्रित कर की जाती थी जिसके कारण योजना में सफलता का प्रतिशत कम रहता था। उक्त योजना के प्रावधानों की समीक्षा कर वर्ष 2006 में युवा कैरियर निर्माण योजना के नाम से प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रशिक्षण का कार्य प्रतिष्ठित निजी कोचिंग संस्थाओं को Out Sourcing करके देने का महत्वपूर्ण परिवर्तन किया गया. जिसका परिणाम भी उत्साहवर्धक रहा है। वर्तमान में यह योजना परीक्षा पूर्व प्रशिक्षण केन्द्र रायपुर, बिलासपुर तथा जगदलपुर में संचालित की जा रही है. वर्ष 2011 में योजना का विस्तार करते हुए बैंकिंग, रेल्वे भर्ती बोर्ड, कर्मचारी चयन आयोग इत्यादि परीक्षाओं की कोचिंग के कार्य को भी योजना में समाहित किया गया है.
ट्रायबल यूथ हास्टल, नई दिल्ली
- देश की राजधानी में रहकर संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा तथा अखिल भारतीय स्तर पर अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए द्वारका नई दिल्ली में छत्तीसगढ़ शासन, आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग व्दारा ट्रायबल यूथ हास्टल संचालित किया जा रहा है। इस संस्था का उद्देश्य राष्ट्रीय स्तर के प्रतियोगी परीक्षाओ के लिए प्रोत्साहित करते हुए मार्गदर्शन उपलब्ध कराना है। साथ ही संस्था में पोस्ट मैट्रिक स्तर के पाठयक्रम में प्रवेश लेकर उत्कृष्ठ शैक्षणिक संस्थाओं में उच्च अध्यन की सुविधा उपलब्ध कराना है। यह संस्था पूर्णतः आवासीय है जहां आवास करने वाले बच्चों को भोजन, आवागमन की सुविधा प्रदान की जाती है.
सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना
-सिविल सेवा परीक्षाओं में सफलता हेतु अनुसूचित जाति एवं जनजातियों के विद्यार्थियों के लिए प्रोत्साहन योजना संचालित है. ऐसे अभ्यर्थी जिनके पालक आयकर दाता नहीं है उन्हे लोक सेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण होने पर रू 10,000/- एवं मुख्य परीक्षा उत्तीर्ण होने पर रू 20,000/- तथा यू.पी.एस.सी. सिविल सर्विसेस प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण होने पर रू 1,00,000/- की राशि प्रोत्साहन स्वरूप प्रदान की जाती है। अब तक 305 विद्यार्थियों को राज्य सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा हेतु एवं 64 विद्यार्थियों को मुख्य परीक्षा हेतु लाभान्वित किया गया है.
सांस्कृ्तिक संरक्षण योजनाएं
गुरू धासीदास लोक कला महोत्सव
- परंपरागत नृत्यव एवं कला जैसे पंथी, भरथरी, पंडवानी आदि के परिरक्षण के उद्देश्य से आयोजन किया जाता है. प्रथम पुरस्कार 1 लाख रुपये, व्दितीय पुरस्कार 75 हज़ार रुपये और तृतीय पुरस्कार 50 हज़ार रुपये रखा गया है.
शिक्षा से संबधित योजनाएं
प्री. मैट्रिक छात्रवृत्ति
- छ0ग0 राज्य में अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों को शिक्षण में सहायता हेतु राज्य सरकार द्वारा प्री0मै0 अनुसूचित जाति तथा प्री0मै0 अनुसूचित जनजाति छात्रवृत्ति (कक्षा 10 वीं तक) प्रदान की जाती है. वर्ष 2016-17 में छ0ग0 राज्य में अनुसूचित जनजाति के 950111 विद्यार्थियों को प्री0मै0 छात्रवृत्ति प्रदान की गई जिस पर रु 95.074 करोड की राशि व्यय हुई. इसी.प्रकार अनुसूचित जाति के कुल 452165 विद्यार्थियों को प्री0मै0 छात्रवृत्ति प्रदान की गई जिस पर कुल रु. 45.627 करोड़ राशि व्यय हुई.
पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति
- कक्षा 11वी एवं उच्च कक्षाओं में अध्ययनरत छात्र/छात्राओं को पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति दी जाती है. अनुसूचित जनजाति के रू. 2.50 लाख तक वार्षिक आय वाले परिवार के छात्र इस योजना के अंतर्गत छात्रवृत्ति की पात्रता रखते है. वर्ष 2016-17 में अनुसूचित जनजाति के 135585 छात्र/छात्राएं लाभान्वित हुए है, छात्र/छात्राओं को संस्था व्दारा प्रभारित शिक्षण शुल्क तथा अन्य देय राशि (Excluding amount refundable to the student on completion of the course) की भी पात्रता होती है. प्री0 मैट्रिक तथा कक्षा 11वीं व 12वीं तक की पो0 मैट्रिक छात्रवृत्ति शिक्षा विभाग व्दारा वितरित की जा रही है.
छात्र भोजन सहाय योजना
- विभागीय मैट्रिकोत्तर छात्रावासों में प्रवेशित अनुसूचित जाति/ जनजाति वर्ग के विद्यार्थियों को विशेष पोषण आहार एवं मेस संचालन के लिए आवश्यक राशि की पूर्ति हेतु प्रति छात्र -छात्रा रू. 400/- प्रतिमाह की दर से सहायता राशि प्रदान की जाती है. इस योजना अंतर्गत वर्ष 2015-16 हेतु रू 1186.80 लाख का बजटीय प्रावधान एवं भौतिक लक्ष्य 23278 है.
विशेष शिक्षण योजना
- अनुसूचित जाति/जनजाति के छात्रावास/आश्रमों में रहने वाले विद्यार्थियों को निदानात्मक एवं विशेष शिक्षण के माध्यम से कठिन विषयों से संबंधित कमजोरी को दूर कर प्रवीणता बढ़ाना है जिससे इस वर्ग के छात्र-छात्राओं के परीक्षा परिणाम में गुणात्मक सुधार के साथ प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल होने योग्य बनाया जाता है. वर्तमान में यह योजना प्रदेश के सभी 146 विकासखंडों में संचालित है.
कम्प्यूटर प्रशिक्षण योजना
- विभागीय छात्रावासों में निवासरत अनुसूचित जाति/जनजाति के विद्यार्थियों को निःशुल्क कम्प्यूटर प्रशिक्षण दिलाया जाता है, ताकि वे कम्प्यूटर के बारे मे जानकारी प्राप्त कर सी.डी. आदि के माध्यम से प्रशिक्षण प्राप्त करने एवं सूचना आदान-प्रदान की नवीन तकनीकों से परिचित हो सके.
स्वस्थ तन स्वस्थ मन (स्वास्थ्य सुरक्षा योजना)
- चिकित्सा सुविधा अप्राप्त/विहीन दूरस्थ क्षेत्रों में संचालित छात्रावास/आश्रमों में निवासरत विद्यार्थियों का नियमित स्वास्थ्य परीक्षण तथा गंभीर रोग दुर्घटना की स्थिति में तत्काल सहायता उपलब्ध करायी जाती है। वर्ष 2015-16 में लगभग 66000 छात्र/छात्राएं लाभान्वित रहे है.
सरस्वती सायकिल प्रदाय योजना
- महिला साक्षरता को प्रोत्साहित करने हेतु अनु.जाति, अनुजनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग एवं सामान्य वर्ग की गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाली छात्राओं तथा विशेष पिछड़ी जनजाति के छात्रों को कक्षा 8वीं पास कर कक्षा 9वीं में प्रवेश लेने पर सायकिल प्रदाय की जाती है.
निःशुल्क गणवेश प्रदाय योजना
- प्राथमिक स्तर की अनु.जनजाति एवं अनु.जाति की समस्त बालिकाओं तथा विशेष पिछड़ी जनजाति के कक्षा 1ली से 8वीं तक के बालक एवं बालिकाओं को निःशुल्क गणवेश प्रदान किया जाता है.
निःशुल्क पाठ्यपुस्तक प्रदाय योजना
- कक्षा 1ली से 8वीं तक की पाठ्य पुस्तकें सर्व शिक्षा अभियान के माध्यम से वितरित की जाती हैं. विभाग व्दारा 9वीं एवं 10वी की बालिकाओं को निःशुल्क पाठ्य पुस्तकें प्रदान की जाती है.
मुख्यमंत्री ज्ञान प्रोत्साहन योजना
- अनुसूचित जनजाति एवं अनुसूचित जाति वर्ग के मेधावी विद्यार्थियों में सतत् उत्कृष्ट परीक्षा परिणाम देने हेतु पुरस्कृत कर प्रोत्साहित करने एवं प्रतियोगिता की भावना जागृत करना हैं यह पुरस्कार प्रतिवर्ष कक्षा 10वीं एवं 12वीं की बोर्ड परीक्षा में अधिकतम अंक प्राप्त करने वाले अनुसूचित जनजाति के 700 एवं अनुसूचित जाति वर्ग के 300 छात्र-छात्राओं को प्रति विद्यार्थी राशि 15,000/- पुरस्कार एवं प्रमाण पत्र प्रदान किया जाता हैं.
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