प्रशासनिक उत्‍कृष्‍टता की कथाएं
यह कहानियां उनकी हें जिन्‍हें अक्‍सर बाबू या नौकरशाह जैसे नामों से पुकारा जाता है, और जिनकी छवि अकर्मण्‍य, यथा‍स्थि‍तिवादी, और अड़ंगेबाज़ व्‍यक्तियों की बनी हुई है. परन्‍तु यथार्थ यह है कि देश में विकास में इन सरकारी कर्मचारियों की मेहनत और जीवट का अमिट योगदान है, जिसे पहचानने की अवश्‍यकता है। इन कहानियों के माध्‍यम से मेरा छोटा सा प्रयास यह है कि देया के दूरस्‍थ अंचलों में काम करने वाले इन सरकारी कर्मचारियों के काम को जाना जाये और दूसरे भी इनके काम से प्रेरणा ले सकें।

बिलासपुर को नशे से ‘निजात’ दिलाने संतोष ने चलाया विशेष अभियान

आम धारणा यह है कि नशे की समस्‍या केवल बड़े शहरों एवं प्रसिध्‍द पर्यटन स्‍थलों तक ही सीमित है. परन्‍तु यह धारणा सही नही है. छत्‍तीसगढ़ जैसे ग्राम प्रधान राज्‍य में और बिलासपुर जैसे छोटे शहर में भी यह समस्‍या धीरे-धीरे विकराल रूप धारण करती जा रही है. कुछ समय पहले तक यह माना जाता था कि छत्‍तीसगढ़ में नशा करने वाले बहुत लोग नही हैं, परन्तु मुम्‍बई-कलकत्‍ता मार्ग पर होने के कारण छत्‍तीगसढ़ नशे की सामग्री के लिये एक मुख्‍य परिवहन मार्ग है. लेकिन सच तो यह है कि छत्‍तीसगढ़ में भी नशा अब अपनी जड़ें जमाता जा रहा है. नशा समाज को दीमक की तरह नष्ट कर देता है. इसलिये नशे को रोकना बहुत महत्‍वपूर्ण है.

पुलिस नशे के विरुध्‍द अक्‍सर अभियान चलाती ही रहती है, परन्‍तु यह अभियान बहुत सफल नही होते. इसका कारण यह है कि नशा करने वाला व्‍यक्ति एक साधारण अपराधी नहीं होता, बल्कि मानसिक रूप ये अस्‍वस्‍थ व्‍यक्ति होता है, जिसे केवल धर-पकड़ करके और सज़ा देकर नही रोका जा सकता. इसके लिये एक संवेदनशील कार्ययोजना की आवश्‍यकता है, जो नशा करने वाले व्‍यक्तियों की नशे की लत छुड़ाकर उन्‍हें समाज की मुख्‍यधारा में जोड़ने का काम करे. बिलासपुर के युवा पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार सिंह ने इसके लिये फरवरी 2023 से ‘निजात’ नाम का एक नशामुक्ति अभियान प्रारंभ किया, जिसने अभूतपूर्व सफलता प्राप्‍त की है. इसके पूर्व वे कोरिया, राजनांदगांव एवं कोरबा ज़ि‍लों में वे ऐसा ही कार्यक्रम चला चुके थे.

आवश्यकता क्यों ?

  1. कैनाबिज (गांजा, भाँग आदि) का उपभोग छत्तीसगढ़ में अधिक है इसी तरह शराब का प्रतिव्यक्ति सेवन बढ़ता जा रहा है.
  2. समस्त देश के युवाओं के बीच नशा की आदत एवं एल्कोहोलिस्म एक गंभीर समस्या है.
  3. राज्य चारो तरफ से अन्य राज्यों से घिरा होने के कारण गांजा तस्करी का ट्रांजिट रूट भी है.
  4. एन.सी.बी. की रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ के 10 से अधिक जिले नशे के प्रति संवेदनशील जिले हैं.
  5. नशा एक सामाजिक बुराई है जिसका सर्वाधिक प्रभाव महिलाओं और बच्चों पर होता है.
  6. नशा का प्रभाव प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से अपराध पर भी होता है, होने वाले अपराधों में लगभग 30-40 अपराधों का एक कारक नशा होता है.
  7. राज्य के विकास एवं संवर्धन में नशे की समस्या का नकारात्मक असर होता है.

निजात अभियान

निजात अभियान एक बहुआयामी कार्ययोजना है जिसमे नशे का अवैध धंधा करने वालों पर प्रभावी कार्यवाही, नशे के खिलाफ जन जागरूकता एवं नशे के आदी व्यक्तियों की काउंसलिंग शामिल है. अतः निजात अभियान को तीन आयामों में बाँट सकते हैं -

कार्यवाही - नशे का अवैध व्यापार करने वालों के विरुध्‍द जीरो टोलेरेंस की नीति अपनाते हुए विभिन्न अधिनियम जैसे - एन.डी.पी.एस., आबकारी, कोटपा आदि में प्रभावी कार्यवाही की जाती है जिससे नशे के अवैध व्यापार की चैन को तोड़ा जा सके. साथ ही प्रभावी कार्यवाही से अन्य अवैध व्यापार करने वाले लोगों में भय उत्पन्न होगा, जिससे नशे की आपूर्ति को बंद किया सकेगा.

  1. बिलासपुर जिले में फरवरी 2023 से 15 सितम्बर तक एन.डी.पी.एस. एक्ट, आबकारी अधिनियम के अन्तर्गत 3275 प्रकरण दर्ज किये गये.
  2. इनमें कुल 3425 गिरफ्तारियॉ की गई जिसमें से गैर जमानती प्रकरणों में 522 आरोपियों को जेल भेजा गया.
  3. आबकारी अधिनियम में बिलासपुर पुलिस ने इस दौरान 13500 लीटर से ज्यादा शराब जप्त की.
  4. एन.डी.पी.एस. एक्ट के अन्तर्गत लगभग 770 कि.ग्रा. गांजा, 10800 नग इंजेक्शन, 724 नग टेबलेट, 12494 नग सीरप के साथ-साथ चरस जैसे नशीले पदार्थ जप्त किये गये.
  5. शराब पीकर वाहन चलाकर वालों पर भी 185 एम.व्ही. एक्ट के अंतर्गत कुल 1094 कार्यवाही की जा चुकी है.
  6. कोटपा एक्ट के अंतर्गत कुल 613 प्रकरण रजिस्ट्रर्ड किये गये.

जन-जागरूकता - निजात अभियान में पुलिस विभाग के साथ-साथ अन्य विभाग और सिविल सोसायटी, एन.जी.ओ. स्वयंसेवी संस्थाओं, शिक्षण संस्थानों के अतिरिक्त मीडिया के विभिन्न माध्यमों के सहयोग से नशा के संबंध में जन जागरूकता कार्यक्रम किये जाते है.

  1. बिलासपुर जिले में फरवरी 2023 से 15 सितम्बर 2023 तक 6000 से ज्यादा वॉल पेटिंग, 4000 से अधिक बैनर पोस्टर के माध्यम से लोगों को जागरूक किया गया.
  2. अवैध नशे के खिलाफ 2700 से अधिक जन जागरण अभियान, स्कूल विजिट आदि.
  3. विभिन्न आर्ट माध्यमों जैसे नुक्कड़ नाटक, कटपुतली शो, रंगोली प्रतियोगिता का आयोजन.
  4. निजात रथ के माध्यम से ग्रामों में जागरूकता.
  5. शार्ट मूवी, गाने एवं जिंगल्स आदि का प्रयोग.
  6. साईकल रैली, मैराथन, जुंबा आदि का आयोजन.
  7. पुलिस चौपाल के आयोजन से अवैध नशे के दुष्परिणामों की जागरूकता.
  8. विभिन्न सेलिब्रिटी एवं प्रसिद्ध व्यक्तित्व के द्वारा अवैध नशे के खिलाफ जागरूकता.
  9. अंतराष्ट्रीय संस्था UNICEF एवं UNODC के सहयोग से अवैध नशे के खिलाफ विभिन्न कार्यक्रम.

काउन्सलिंग - नशे से पीड़ित लोगो को प्रशिक्षित काउंसलर की सहायता से नशा छोड़ने के लिए प्रेरित किया जा सके इसके लिए निजात अभियान के अंतर्गत निम्र कदम उठाये जाये -

  1. नशे के आदी लोगो का चिन्हांकन.
  2. विभिन्न संस्थानों जैसे सक्षम एवं मेडिकल प्रेक्टिश्नर के सहयोग से पुलिस थाने में काउन्सलिंग.
  3. UNICEF एवं CSJ (काउन्सेल टू सिक्योर जस्टिस) की सम्बध्‍दता में डायवर्जन प्रोग्राम.

निजात अभियान के परिणाम - बिलासपुर जिले में फरवरी से 15 सितम्बर 2023 के मध्य निजात अभियान के दौरान काफी सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं -

  1. अपराध में कमी - इस अभियान के 07 माह में पिछले साल की इस अवधि की तुलना में कुल अपराधों में 11% की कमी, मारपीट में 11% की कमी, चाकूबाजी में 75% की कमी, हत्या के प्रयास में 70%, हत्या के मामलों में 33% की कमी, चोरी में 18% की कमी आई है.
  2. अवैध नशे के व्यापार पर अंकुश
  3. पुलिस एवं प्रशासन की छवि में सुधार.
  4. विभिन्न नशे के आदी लोगों ने नशा छोड़कर मुख्य धारा से जुड़कर सामान्य जीवन की शुरूवात की.
  5. BPR&D गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा निजात अभियान को देश के 30 सर्वश्रेष्ठ अभियान में शामिल किया गया है.
  6. अमेरिका के प्रतिष्ठित अवार्ड IACP से निजात अभियान को पुरस्कृत किया गया है.

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