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भारत की संविधान सभा
भारत के संविधान की रचना के लिए भारत की संविधान सभा बनाई गई थी. स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद संविधान सभा के सदस्य ही भारत की प्रथम संसद के सदस्य बने.
भारत के लिये एक संविधान बनाने की चर्चा देश में काफी पहले से चल रही थी. 1925 में महात्मा गांधी ने कामनवेल्थ ऑफ इण्डिया बिल प्रस्तुत किया था, जो भारत के लिए संवैधानिक प्रणाली की रूपरेखा प्रस्तुत करने का प्रथम प्रयास था. संविधान सभा की माँग पहली बार सन-1895 में बाल गंगाधर तिलक ने उठाई थी.
द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद जुलाई 1945 में ब्रिटेन की नयी सरकार ने भारत की स्वतंत्रता की तैयारी के लिये संविधान निर्माण करने वाली समिति बनाने का निर्णय लिया. संविधान सभा के सदस्यों का निर्वाचन अप्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली से जुलाई 1946 में हुआ था. संविधान सभा के सदस्य भारत के राज्यों की विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्यों के द्वारा चुने गए थे. भारत के विभाजन के बाद संविधान सभा के कुल 389 सदस्यों में से 299 भारत में रह गए और शेष ने पाकिस्तान की संविधान सभा का रूप लिया. 299 में से 229 सदस्य निर्वाचित थे और 70 मनोनीत थे. महिला सदस्यों की संख्या 15 थी. अनुसूचित जाति के 26 और अनुसूचित जनजाति के 33 सदस्य थे. बंटवारे के बाद 3 महिलाएं पाकिस्तान में चली गई और भारत की संविधान सभा में 12 महिलाएं रह गईं.
15 अगस्त 1947 को भारत के आज़ाद हो जाने के बाद यह संविधान सभा पूर्णतः प्रभुतासंपन्न हो गई. इस सभा ने अपना कार्य 1 दिसम्बर 1946 से आरम्भ किया. डॉ राजेन्द्र प्रसाद, डॉ० भीमराव अम्बेडकर, सरदार वल्लभ भाई पटेल, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, जवाहरलाल नेहरू, मौलाना अबुल कलाम आजाद आदि इस सभा के प्रमुख सदस्य थे. सच्चिदानन्द सिन्हा इस सभा के प्रथम सभापति थे, किन्तु बाद में डॉ राजेन्द्र प्रसाद को सभापति निर्वाचित किया गया. भीमराव अंबेडकर को निर्मात्री समिति का अध्यक्ष चुना गया था. संविधान सभा ने 2 वर्ष, 11माह, 18 दिन में कुल 165 दिन बैठक कीं. इसकी बैठकों में प्रेस और जनता को भाग लेने की स्वतन्त्रता थी.
संविधान सभा के इतिहास के महत्वपूर्ण दिन हैं -
- 6 दिसम्बर 1946 को संविधान सभा की स्थापना हुई.
- 9 दिसम्बर 1946 को पुराने संसद भवन के सेंट्रल हॉल में संविधान सभा की पहली बैठक हुई. स्वतन्त्र देश की माँग करते हुए मुस्लिम लीग ने बैठक का बहिष्कार किया.
- 11 दिसम्बर 1946: राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के अध्यक्ष निर्वाचित हुए.
- 13 दिसंबर 1946 को जवाहर लाल नेहरू ने उदेश्य का प्रस्ताव पेश किया. संविधान सभा के सामने उद्देश्य रखने के समय जवाहरलाल नेहरू ने कहा था -
'हम एक नए युग की दहलीज़ पर हैं. हमारे इरादे क्या हैं और हम क्या करने जा रहे हैं, यह इस प्रस्ताव से साफ़ पता चलता है. यह करोड़ों भारतीयों के साथ हमारा एक खास अनुबंध है और सामान्य तरीके से कहें, तो पूरी दुनिया के लिए भी. यह हमारे लिए एक शपथ की तरह है जिसे हमें पूरा करना है.'
- आठ दिन तक बहस होने के बाद सर्वसम्मति से उसे 22 दिसंबर 1946 को पारित कर दिया गया. उसके बाद सभा ने संविधान निर्माण के लिए कई समितियों का गठन किया.
- परामर्श समिति ने 17 मार्च, 1947 को केंद्रीय और प्रांतीय विधान मंडलों के सदस्यों को प्रस्तावित संविधान की मुख्य विशेषताओं के संबंध में एक प्रश्नावली भेजी. उनके उत्तरों के आधार पर परामर्श समिति ने एक रिपोर्ट तैयार की जिसके आधार पर संविधान का प्रारूप तैयार किया गया.
- 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज स्वीकार किया.
- 15 अगस्त 1947 को भारत को स्वतन्त्रता मिली.
- 29 अगस्त 1947 को मसौदा समिति बनी, जिसके अध्यक्ष डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर बनाए गए. इसके अन्य सदस्य ये थे - कन्हैयालाल मुंशी, मोहम्मद सादुल्लाह, अल्लादि कृष्णस्वामी अय्यर, गोपाळ स्वामी अय्यंगार, एन. माधव राव जिन्हें बी.एल. मित्तर व्दारा अस्वस्थता के कारण त्यागपत्र देने के बाद शमिल किया गया और टी.टी. कृष्णामचारी, जिन्हें देवीप्रसाद खेतान के स्थान पर शामिल किया गया.
- 26 नवम्बर 1949 को संविधान सभा ने भारतीय संविधान को स्वीकार किया और उसके कुछ धाराओं को लागू भी किया गया.
- 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा की बैठक हुई जिसमें संविधान पर सभी ने अपने हस्ताक्षर करके उसे मान्यता दी.
- 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू हुआ.
संविधान की हिंदी और अंग्रेजी की दोनों मूल प्रतियां हस्तलिखित हैं. इन्हें प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने लिपिबद्ध किया है. उन्होंने होल्डर और निब की सहायता से इटैलिक स्टाइल में कैलिग्राफी के साथ संविधान को लिपिबध्द किया. संविधान को देहरादून में छापा गया और सर्वे ऑफ इंडिया ने फोटोग्राफ किया. शांति निकेतन के कलाकारों ने आचार्य नंदलाल बोस के निर्देशन में संविधान की मूल प्रतियों को सजाया था. प्रस्तावना के पृष्ठ को बी राम मनोहर सिन्हा ने बनाया था. संविधान की हिंदी और अंग्रेजी में लिखी मूल प्रतियां संसद के पुस्तकालय में रखी हैं. इन प्रतियों को हीलियम से भरे पात्रों में रखा गया है. संविधान के अंतिम रूप से स्वीक्रत होने के पूर्व उसके ड्रॉफ्ट पर लंबी बहस हुई और 2000 संशोधन हुये..
भारत के संविधान की प्रमुख विशेषतायें हैं -
- यह दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है.
- भारत के संविधान ने अनेक प्रावधान अन्य देशों के संविधानों के साथ 1935 के भारत सरकार अधिनियम से उधार लिये हैं. डॉ बी आर अम्बेडकर ने गर्व से कहा कि, भारत के संविधान को ‘दुनिया के सभी ज्ञात संविधानों का निचोड़ लेकर तैयार किया गया है. मौलिक अधिकार और राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत क्रमशः अमेरिकी और आयरिश संविधानों से प्रेरित हैं. कैबिनेट सरकार का सिद्धांत और कार्यपालिका और विधायिका के बीच संबंध मूलत: ब्रिटिश विचार हैं.
- कठोरता और लचीलेपन का मिश्रण - भारतीय संविधान में संशोधन की प्रकृति के आधार तीन प्रकार के संशोधन प्रावधानित हैं.
- संघात्मकता और एकात्मकता का मिश्रण -
भारत में की संघीय प्रणाली है. इसमें शामिल हैं -
केन्द्र और राज्यों की अलग सरकारें, शक्तियों का विभाजन, लिखित संविधान, संविधान की सर्वोच्चता, संविधान की कठोरता, स्वतंत्र न्यायपालिका और दो सदन.
परन्तु भारत के संविधान में एकात्मक विशेषताएं भी शामिल हैं, जैसे कि मजबूत केंद्र, एकल संविधान, केंद्र द्वारा राज्य के राज्यपाल की नियुक्ति, अखिल भारतीय सेवाएं और एकीकृत न्यायपालिका आदि.
संविधान में कहीं भी ‘फेडरेशन’ शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया है. संविधान के अनुच्छेद 1 में भारत को ‘राज्यों का संघ’ बताया गया है (परन्तु यह संघ राज्यों के समझौते का परिणाम नहीं है और किसी भी राज्य को संघ से अलग होने का अधिकार नहीं है.
- सरकार का संसदीय स्वरूप - भारत में संसदीय सरकार बहुमत के आधार पर बनती है.
संसद की संप्रभुता का सिद्धांत ब्रिटिश संसद से लिया गया है जबकि न्यायिक सर्वोच्चता का सिद्धांत अमेरिकी सुप्रीम से लिया गया है. परन्तु न्यायिक समीक्षा की शक्ति का दायरा अमेरिका की तुलना में संकीर्ण है, क्योंकि अमेरिकी संविधान में निहित ‘कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया’ के स्थान पर भारत में ‘कानून की उचित प्रक्रिया’ कहा गया है. संसद अपनी संवैधानिक शक्ति के माध्यम से संविधान के अधिकांश भाग में संशोधन कर सकती है परन्तु सर्वोच्च न्यायालय न्यायिक समीक्षा के माध्यम से संसद व्दारा बनाये कानूनों को असंवैधानिक घोषित कर सकता है.
- कानून का शासन - कोई भी व्यक्ति कानून से उपर नहीं है. लोकतंत्र में कानून संप्रभु है. मनमानी की कोई गुंजाइश नहीं है.
- एकीकृत और स्वतंत्र न्यायपालिका.
- मौलिक अधिकार - भारतीय संविधान का भाग III सभी नागरिकों को छह मौलिक अधिकारों की गारंटी देता है. किसी भी मेजोरिटी से इन अधिकारों को निरस्त नहीं कियाा जा सकता. ये अधिकार कार्यपालिका की निरंकुशता और विधायिका के मनमाने कानूनों की सीमाओं के रूप में कार्य करते हैं.
- राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत - लोगों को सामाजिक और आर्थिक न्याय प्रदान करने के लिए नीति निर्देशक सिद्धांतों को हमारे संविधान के भाग 4 में शामिल किया गया है.
- मौलिक कर्तव्य - इन्हें 1976 के 42वें संशोधन अधिनियम द्वारा संविधान में जोड़ा गया था.
- भारतीय धर्मनिरपेक्षता - संविधान के कहा गया है कि राज्य स्वयं को किसी धर्म के साथ नहीं जोड़ेगा और धर्म के द्वारा नियंत्रित नहीं होगा. साथ ही राज्य हर नागरिकों को किसी भी धर्म का पालन करने का अधिकारदेता है, जिसमें नास्तिक होने का अधिकार भी शामिल है. धर्म या आस्था के आधार पर कोई भेदभाव नहीं दिखाया जा सकता.
- सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार.
- एकल नागरिकता
- स्वतंत्र निकाय - भारतीय संविधान कुछ स्वतंत्र निकायों की स्थापना भी करता है जो लोकतांत्रिक प्रणाली के लिए आवश्यक हैं, जैसे निर्वाचन आयोग आदि.
- आपातकालीन प्रावधान - जब सरकार को सामान्य समय की तरह नहीं चलाया जा सकता है तब ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए, संविधान में आपातकालीन प्रावधान रखे गये हैं. आपातकाल तीन प्रकार का होता है –
- युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह के कारण आपातकाल (अनुच्छेद 352)
- राज्यों में संवैधानिक तंत्र की विफलता से उत्पन्न आपातकाल (अनुच्छेद 356 और 365)
- वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 360)
- त्रिस्तरीय सरकार- 73वें और 74वें संवैधानिक संशोधन व्दारा तीसरे स्तर पर स्थानीय सरकार - पंचायत और नगरीय निकायों को जोड़ा गया है.
भारत के संविधान के स्रोत -
- 1935 का भारत सरकार अधिनियम – संघीय योजना, राज्यपाल का कार्यालय, न्यायपालिका, लोक सेवा आयोग, आपातकालीन प्रावधान और प्रशासनिक विवरण.
- ब्रिटिश संविधान – सरकार की संसदीय प्रणाली, विधि का शासन, विधायी प्रक्रिया, एकल नागरिकता, कैबिनेट प्रणाली, विशेषाधिकार रिट, संसदीय विशेषाधिकार और द्विसदनीय प्रणाली.
- अमेरिकी संविधान – मौलिक अधिकार, न्यायपालिका की स्वतंत्रता, न्यायिक समीक्षा, राष्ट्रपति पर महाभियोग, सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को हटाना और उपराष्ट्रपति का पद.
- आयरिश संविधान – राज्य के नीति निदेशक तत्त्व, राज्यसभा के लिए सदस्यों का मनोनयन और राष्ट्रपति के चुनाव की विधि.
- कनाडाई संविधान – एक मजबूत केंद्र के साथ संघ, केंद्र में अवशिष्ट शक्तियों का निहित होना, केंद्र द्वारा राज्य के राज्यपालों की नियुक्ति और सर्वोच्च न्यायालय का सलाहकार क्षेत्राधिकार.
- ऑस्ट्रेलियाई संविधान – समवर्ती सूची, व्यापार, वाणिज्य और अंतर्व्यापार की स्वतंत्रता, और संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक.
- जर्मनी का वाइमर संविधान – आपातकाल के दौरान मौलिक अधिकारों का निलंबन.
- सोवियत संविधान (USSR, वर्तमान में रूस)– प्रस्तावना में मौलिक कर्तव्य और न्याय का आदर्श (सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक).
- फ्रांसीसी संविधान – गणतंत्र और प्रस्तावना में स्वतंत्रता, समानता एवं बंधुत्व के आदर्श.
- दक्षिण अफ़्रीकी संविधान – संविधान में संशोधन और राज्य सभा के सदस्यों के चुनाव की प्रक्रिया.
- जापानी संविधान – विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया.
भारतीय संविधान की संरचना
- भाग (Parts) -मूल रूप से, भारतीय संविधान में 22 भाग थे. वर्तमान में, भारतीय संविधान में 25 भाग हैं.
- अनुच्छेद (Articles) - मूलत: भारतीय संविधान में 395 अनुच्छेद थे. वर्तमान में, भारतीय संविधान में 448 अनुच्छेद हैं.
- अनुसूचियाँ (Schedules) – मूल रूप से, भारत के संविधान में 8 अनुसूचियाँ थीं. वर्तमान में, भारतीय संविधान में 12 अनुसूचियाँ हैं.
भारत के संविधान निर्माण की कथा यूट्यूब की चैलन Peepul Tree World (Live History India) पर Creative Commons Attribution license (reuse allowed) पर उपलब्ध एक वीडियो में बड़े रोचक तरीके से दिखाई गई है जो मैं आपको यहां दिखा रहा हूं.