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भारत में अधोसंरचना क्षेत्र
परिभाषा – साधारणतय: अधोसंरचना का तात्पर्य होता है वे मूल बिल्डिंग ब्लाक जिनसे अर्थव्यवस्था ठीक प्रकार से चलती है.
राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग ने डा. सी रंगराजन की अध्यक्षता में अधोसंरचना की निम्निलिखित 6 विशेषताएं चिन्हित की थीं: -
- उत्पादन की गैर-परिवर्तनशीलता (जहां उत्पादन होगा उसी स्थान पर विक्रय करना होगा)
- गैर-प्रतिव्दंदी प्रकृति (किसी अतिरिक्त व्यक्ति को सेवा प्रदाय करने का अतिरिक्त मूल्य शून्य होता है)
- उच्च प्रारंभिक लागत (ऐसी लागत जो प्रारंभ में की लगानी होती है और जो वापस प्राप्त नहीं हो सकती)
- प्राकृतिक एकाधिकार (उच्च लागत और अन्य रुकावटों के कारण बाज़ार में प्रवेश करने वाले पहले और बड़े उद्यम को अपने प्रतिव्दंदियों की तुलना में बहुत अधिक लाभ होता है)
- मूल्य बहिष्कारण (सेवा का प्रदाय उपयोग करने व्दारा कीमत चुकाने पर निर्भर है)
- समाज को वाह्यता प्रदान करता है (ऐसे लाभ या हानियां जो समाज को बिना चाहे ही मिल जाते हैं)
इन विशेषताओं के आधार पर आयोग ने अधोसंरचना में निम्न प्रकार के उद्योगों को शामिल किया है:
राकेश मोहन समिति ने भारत अधोसंरचना रिपोर्ट में टेलीकाम, जल प्रदाय, गैस, बिजली, सड़कें, उद्योग पार्क, शहरी अधोसंरना, रेल्वे, बंदरगाह और हवाई अड़डों आदि को अधोसंरचना में शमिल किया था.
अधोसंरचना विकास एवं वृध्दि के लिये आवश्यक है
अधोसंरचना की परियोजनाओं में वाह्यता होती है, अर्थात् उनके बहुत से लाभ अन्य उद्योगों को भी मिलते हैं. उनसे जो सामाजिक लाभ प्राप्त होता है वह निजी लाभ की तुलना में कहीं अधिक हेाता है. इसके कारण सकल घरेलू उत्पाद की वृध्दि में इन परियोजनाओ का योगदान बहुत अधिक होता है.
भारत में अधोसंरचना क्षेत्र
वर्ष 2016 में लाजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक में भारत 19 स्थानों की छलांग लगाकर विश्व के 160 देशों में 35 वें स्थान पर पहुंच गया है. निर्माण के क्षेत्र में (शहरी कालेानियां, मकान, आदि) में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश अप्रेल 2000 से दिसंबर 2017 के बीच 24.67 बिलियन अमरीकी डालर का हुआ है. लाजिस्टिक्स के क्षेत्र में चक्रवृध्दि वार्षिक वृध्दि दर (CAGR) 10.5% रहने की संभावना है एवं इस क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश वर्ष 2017 में 160 बिलियन अमरीकी डालर से बढ़कर वर्ष 2020 तक 215 बिलियन अमरीकी डालर तक पहुंच जाने की संभावना है. वर्ष 2022 तक भारत की अधोसंरचना क्षेत्र की निवेश की आवश्यकता 50 ट्रिलियन रुपये (777.73 बिलियन अमरीकी डालर) की है.
कुछ महत्व पूर्ण क्षेत्र नीचे दिये हैं –
- फरवरी 2018 में भारत सरकार ने न्यू डेवलेपमेंट बैंक के साथ राजस्थान के रेगिस्तानी क्षेत्रों में जल की पुर्नसंरचना के लिये 345 मिलियन अमरीकी डालर का अनुबंध किया है.
- जनवरी 2018 में राष्ट्रीय निवेश एवं अधोसंरचना फंड (NIIF) ने यूएई के डीपी वर्ल्ड के साथ एक नया प्लेटफार्म बनाने की साझेदारी की है जिससे 3 बिलियन अमरीकी डालर का निवेश होने की संभावना है जो भारत में बंदरगाहों, परिवहन और लाजिस्टिक्स के क्षेत्र में होगा.
वर्ष 2018-19 के केन्द्रीय बजट की महत्वपूर्ण घोषणाएं:
- अधोसंरचना क्षेत्र को 5.97 लाख करोड़ रुपये का आबंटन
- रेल्वे को अभी तक का सर्वाधिक 1.48 ट्रिलियन रुपये का आबंटन
- सहज बिजली हर घर योजना (सौभाग्य) को 16,000 करोड़ रुपये का आबंटन. इसके अंतर्गत सभी घरों तक बिजली पहुंचाने का लक्ष्य है.
- हरित ऊर्जा गलियारा परियोजना के लिये 4,200 करोड़ रुपये जिससे वायु एवं सौर ऊर्जा की परियोजनाएं विकसित की जायेंगी.
- टेलीकाम क्षेत्र के लिये 10,000 करोड़ रुपये का आबंटन
- 90 स्मार्ट सिटी के लिये 191,155 करोड़ रुपये का आबंटन
- प्रधान मंत्री आवास योजना, अटल शहरी परिवहन कायाकल्प मिशन (अमृत), एवं स्वच्छ भारत मिशन आदि से अधोसंरचना विकास.
अन्य बड़ी परियोजनाएं
वर्ष 2019 तक राष्ट्रीय राजमार्ग 50,000 किलोमीटर तक पहुंच जायेंगे. 550,000 गांवों मे मार्च 2019 तक वाईफाई पहुंचाया जायेगा जिसपर 3,700 करोड़ रुपये की लागत आयेगी. भारत एवं जापान मिलकर उत्तर पूर्व के राज्यों में रणनीतिक विकास का कार्य करेंगे.
अधोसंरचना क्षेत्र में निजी सहभागिता
परंपरागत रूप से अधोसंरचना विकास का कार्य सार्वजनिक क्षेत्र में रहा है क्योंकि इस क्षेत्र में लाभ की संभावनाएं कम है और परियोजना पूर्ण होने में बहुत समय लगता है. हाल ही में निजी क्षेत्र ने इसमे भागीदारी करना प्रारंभ किया है. कुछ परियोजनाएं पूरी तरह निजी क्षेत्र में हें जैसे कि टेलीकाम की परियोजनाएं, परन्तु अधिकांश परियोजनाएं निजी-सार्वजनिक भागीदारी (PPP) में हें. इसके उदाहरण सड़क निर्माण, हवाई अड्डा आदि में देखे जा सकते हैं. इसके अनेक माडल जैसे BOT, BOO आदि है. इन्हें आंशिक बजट समर्थन से भी चलाया जाता है जैसे एन्यूइटी योजनाएं सार्वजनिक क्षेत्र के साथ स्पेश्यल परपज़ व्हीकिल (SPVs) आदि. सरकार ने अधोसंरचना परियोजनाओं को वित्तींय समर्थन देने के लिये विशिष्ट संस्थाओं जैसे आई.आई.एफ.सी.एल., आई.एफ.सी.आई. हुडको आदि भी बनाए हैं.