उत्‍कृष्‍ट शिक्षकों की कथाएं
समस्‍त गुरुजनों के चरणों में वंदना करते हुये में आज से शिक्षकों के उत्‍कृष्‍ट कार्यों की कथाएं कहना प्रारंभ कर रहा हूं. शिक्षकों के इन कार्यों से मैं तो अभिभूत हूं, ही, मुझे विश्‍वास है कि आप सब भी प्रभावित होंगे. मुझे इस बात की भी आशा है कि शिक्षक भी इन कहानियों को पढ़कर एक दूसरे से सीख सकेंगे.

सुरेखा नवरत्न के उत्कृष्ट कार्य

सुरेखा नवरत्न, सहायक शिक्षक, शासकीय प्राथमिक शाला छिर्रा, संकुल छिर्रा, विकासखंड बिलाईगढ़, जिला सारंगढ़-बिलाईगढ़ में सन् 2008 से पदस्थ हैं. वे अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए नि:स्वार्थ भाव से अध्ययन अध्यापन करने में विश्वास रखती हैं. किसी प्रकार के तामझाम और पब्लिसिटी से परे रहकर केवल अपने कार्य पर ध्यान देना उन्हें अच्छा लगता है.

छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग के द्वारा चलाई गई योजना में स्टोरीवीवर के माध्यम से सौ से अधिक बाल पुस्तिका की रचना एवं क्षेत्रिय भाषा में कहानियों का अनुवाद उन्होने किया है. 80 से अधिक खुद बनाये एवम् बच्चों के द्वारा बनाए गए चित्र वेबसाइट में अपलोड किये हैं. कोरोना काल में बच्चों को व्हाट्सएप के माध्यम से प्रेषित कर शिक्षा एवं मनोरंजन की सुविधाएं उपलब्ध कराने में भागीदारी निभाई. इसके लिए उन्हें हमारे नायक में स्थान भी प्राप्त हुआ था. सुरेखा जी के द्वारा ऑनलाईन कक्षा भी लगातार संचालित की गयी.

सुरेखा जी ने पारम्परिक छत्तीसगढ़ी खेलों का संकलन करके पुस्तक लिखी है, जिसे आलोक प्रकाशन के द्वारा ऑनलाईन प्रकाशित किया गया है. इस पुस्तक में बहुत सारे खेलों का संकलन एवं उनके खेलने के तरीकों की विस्तृत जानकारी भी है, जिसकी सराहना सभी ने की है. लगभग साढ़े तीन हज़ार लोगों के द्वारा इस पुस्तक को डाऊनलोड किया गया है. इसके माध्यम से स्थानीय खेलों के महत्व और मनोरंजन की जानकारी मिली. इसके अतिरिक्त भी अन्य कई पुस्तकें उन्होने लिखी हैं. सुरेखा जी की बाल कहानियाँ एवं कविताएँ कई पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं.

ग्रामीण अंचल के बच्चों को समझाने और समझने में स्थानीय भाषा का महत्वपूर्ण स्थान होता है. अपनी मातृभाषा में बच्चे बेझिझक अपनी बातों को रख सकते हैं. किस्से कहानी और कविताओं के माध्यम से बच्चों में शिक्षा के प्रति रूचि जागृत करना और नैतिक शिक्षा देकर भविष्य में नेक इंसान बनने के लिए प्रेरित करना सुरेखा जी का मुख्य उद्देश्य है.

अस्‍वीकरण: मैने यह कहानियां संबंधित शिक्षकों एवं उनके मित्रों व्दारा दी गयी जानकारी के आधार पर लिखी हैं, स्‍वयं उनका सत्‍यापन नही किया है.

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