समस्त गुरुजनों के चरणों में वंदना करते हुये में आज से शिक्षकों के उत्कृष्ट कार्यों की कथाएं कहना प्रारंभ कर रहा हूं. शिक्षकों के इन कार्यों से मैं तो अभिभूत हूं, ही, मुझे विश्वास है कि आप सब भी प्रभावित होंगे. मुझे इस बात की भी आशा है कि शिक्षक भी इन कहानियों को पढ़कर एक दूसरे से सीख सकेंगे.
उत्कृष्ट संकुल समन्वयक कैलाशचन्द्र पटेल
संकुल स्त्रोत केंद्र, समग्र शिक्षा, अमरकोट विकासखंड सरायपाली, जिला महासमुंद में पदस्थ शिक्षक कैलाशचन्द्र पटेल संकुल शैक्षिक समन्वयक के पद पर कार्यरत हैं. कैलाशचन्द्र पटेल सतत एवं सार्थक कार्य करते रहते हैं. शासन की योजना के सफल क्रियान्वयन हेतु शिक्षकों से सतत संपर्क रखकर योजना के फलीभूत होने तक लगातार कार्य करते रहते हैं.
समय पर ऑन लाईन कार्य पूर्ण करवाना, समय मे जनकारी का आदान प्रदान, बेहतर ढंग से कार्य करने के फलस्वरूप विकासखंड के सर्वश्रेष्ठ समन्वयक के रूप में उन्हें सम्मानित किया जा चुका है. कोरोना काल में भी ऑन लाईन पढ़ाई व मध्यान्ह भोजन खाद्यान वितरण करवाने के सफल संचालन के लिए स्वतंत्रता दिवस समारोह में जिले के प्रभारी मंत्री जी द्वारा सम्मानित किया गया है.
कैलाश चंत्र जी व्दारा शिक्षा की बेहतरी के हर संभव सार्थक प्रयास किया जाता रहे हैं. विभिन्न क्षेत्रों में बेहतरीन कार्य करने के लिए संकुल केन्द्र बोन्दा में विभिन्न गतिविधियों के क्रियान्वयन के लिए उन्हें हमारे नायक में स्थान मिल चुका है. संकुल केन्द्र अमरकोट चूंकि नए संकुल पुर्नगठन से अस्तिव में आया है इसलिए कैलाशचंद्र जी ने यहां पर शिक्षा की बेहतरी के लिए विषेश प्रयास प्रारंभ किये हैं.
कैलाशचंद्र जी के विशेष कार्य
- संकुल की आश्रित शालाओं में कर्तव्यनिष्ठ शिक्षकों के सहयोग से आमाराईट प्रोजेक्ट का सफल क्रियान्वयन किया गया.
- अगना म शिक्षा –घर में ही खेल-खेल मे आसानी से माताओं के द्वारा शिक्षा देने के लिए प्रोत्साहित किया गया.
- शाला अवलोकन – विद्यार्थियों में दक्षता विकास के लिये संकुल की शालाओं का अवलोकन कर कौशल एवं दक्षता विकास के लिए शिक्षकों के साथ मिलकर विषेश प्रयास किये गये. कमजोर बच्चों को न्यूनतम अधिगम स्तर पर लाने का हर संभव प्रयास किया गया.
- 'शून्य निवेश नवाचार' – संकुल की आश्रित शालाओं के शिक्षकों में पाठ्य सहगामी क्रिया, अघ्यापन में सहायक साम्रगी का उपयोग कर पढाई को रुचिकर बनाने के लिए विशेष प्रयास किये गये. शिक्षकों को आसपास की बेकार पड़ी वस्तुओं से सहायक साम्रगी बनाकर अघ्यापन में उपयोग करने के लिए प्रेरित किया गया.
अस्वीकरण: मैने यह कहानियां संबंधित शिक्षकों एवं उनके मित्रों व्दारा दी गयी जानकारी के आधार पर लिखी हैं, स्वयं उनका सत्यापन नही किया है.