उत्‍कृष्‍ट शिक्षकों की कथाएं
समस्‍त गुरुजनों के चरणों में वंदना करते हुये में आज से शिक्षकों के उत्‍कृष्‍ट कार्यों की कथाएं कहना प्रारंभ कर रहा हूं. शिक्षकों के इन कार्यों से मैं तो अभिभूत हूं, ही, मुझे विश्‍वास है कि आप सब भी प्रभावित होंगे. मुझे इस बात की भी आशा है कि शिक्षक भी इन कहानियों को पढ़कर एक दूसरे से सीख सकेंगे.

कर्मठ शिक्षक महेन्द्र कुमार चंद्रा के प्रेरणास्पद कार्य

महेन्द्र कुमार चंद्रा, शिक्षक (एल. बी.), शासकीय माध्यमिक शाला झालरौंदा, संकुल केन्द्र - खम्हरिया,विकास खंड - जैजैपुर, जिला - सक्ती (छ.ग.) में पदस्थ कर्मठ शिक्षक हैं. अपने कार्य को लगन से करते हुए बच्चों को आगे ले जाने के लिए यथा संभव प्रयास करते हैं. ये पहले प्राथमिक शिक्षक के रूप में कार्यरत थे. वहां इन्होंने बच्चों को स्नेह, रुचि और गतिविधि के साथ प्रोत्साहित करते हुए 17 वर्ष कार्य किया. इनका शिक्षण बच्चों की उम्र के हिसाब से खेल खिलौने और गतिविधि पूर्ण रहा है. ये छोटे बच्चों को प्रत्यक्ष दिखाकर अध्यापन कराने में निपुण हैं. गतिविधियों के द्वारा बच्चों को सभी विषय वस्तु का सरलता से बोध कराते हैं. इनकी कक्षा का बच्चों को इंतजार रहता है.

कोविड 19 के दौरान भी इन्होंने अपना अध्यापन कार्य जारी रखा और नए-नए तरीके से बच्चों तक शिक्षा पहुंचाने का प्रयास किया. ऑनलाइन कक्षा का वे बहुत रोचक संचालन प्रतिदिन करते थे, जिससे प्रदेश के दूसरे विद्यालयों के बच्चे भी जुड़ते थे. इन्होंने बच्चों तक रोचक शिक्षा पहुंचाने के लिए कहानियों का माध्यम अपनाया जिसके लिए स्टोरीबेबर में कार्य किया. इसके लिए हमारे नायक में इनको स्थान मिला.

वे बच्चों को TLM के माध्यम से शिक्षण प्रदान करते हैं. कबाड़ से जुगाड में इन्हे विशेष रुचि है. बच्चों को भी प्रत्येक वस्तु को फेंकने के बजाय फिर से उपयोग करना सिखाते हैं. कबाड़ से जुगाड में इन्होंने संकुल एवम विकास खंड स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त किया है. अध्यापन कार्य में मल्टीमीडिया का सार्थक उपयोग करते हैं तथा बच्चों की गतिविधियों को पालकों तक पहुंचाते हैं.

स्मार्ट कक्षा का संचालन बहुत अच्छे से करते हैं. पालक इन्हें एक आदर्श शिक्षक के रूप में देखते हैं. माध्यमिक शाला में कार्यभार ग्रहण करते ही वे बच्चों के मन से अंग्रेजी के प्रति झिझक को दूर करने के कार्य में लग गए, जिसमें सफलता भी प्राप्त की. इनके द्वारा अंग्रेजी विषय को भी गतिविधि द्वारा सरस बनाने का काम किया गया है. इनकी ऑनलाइन से लेकर ऑफलाइन कक्षा में बच्चे रुचि और उत्साह के साथ अध्ययन करते हैं. अनुशासन और सजगता इनकी कार्यशैली में स्पष्ट दिखाई देती है.

इनकी कुछ प्रमुख उपलब्धियां इस प्रकार से हैं
  1. अनुशासित शिक्षक - शिक्षकीय कार्य को अनुशासन और सजगता से करते हैं, जिसका बेहतर प्रभाव बच्चों पर पड़ता है. बच्चों की भी कार्यशैली अनुशासित नजर आती है.
  2. स्मार्ट कक्षा का संचालन - इनके द्वारा प्रोजेक्टर से स्मार्ट कक्षा का संचालन बहुत अच्छे से किया जाता है. बच्चे देखी गई विषय वस्तु को बेहतर तरीके से याद रखते हैं और कक्षा का वातावरण भी अच्छा रहता है. बच्चे एकाग्र रहते हैं.
  3. TLM का उपयोग - अपने शिक्षण में TLM का बेहतरीन उपयोग करते हैं जिनमे से अधिकांशतः अनुपयोगी चीजों से बनाए गए होते हैं. कुछ बच्चों द्वारा ही बनाए गए होते हैं, जिससे बच्चों में विषय के प्रति रुचि रहती है.
  4. ऑनलाइन कक्षा का संचालन - कोरोना महामारी के दौरान इन्होंने ऑनलाइन कक्षा का संचालन बेहतरीन और नियमित तरीके से किया, जिस कारण अपनी शाला के साथ अन्य शालाओं के बच्चे भी इनकी ऑनलाइन कक्षा में सम्मिलित होकर शिक्षण का लाभ लेते थे.
  5. स्टोरीवेबर में कार्य के लिए हमारे नायक में स्थान - इन्होंने ऑनलाइन कक्षा को रुचिकर बनाने के लिए अनेक प्रकार की कहानियां लिखीं. स्टोरीवेबर पर इन्ही कहानियों के उत्कृष्ट कार्य के लिए हमारे नायक में स्थान प्राप्त किया. ये कहानियां रुचिकर और शिक्षाप्रद हैं.
  6. आर्गुमेंट रियलटी एप का प्रयोग - इस एप के प्रयोग के द्वारा जानवरों के साथ वास्तविक प्रतीत होने वाला वीडियो बच्चों के साथ बनाया गया था, जिसमें बच्चों ने जानवरों की विशेषताओं को सीखा.
  7. एडूटर एप का प्रयोग - इन्होंने बच्चों को लाभान्वित करने के लिए अपने गतिविधियों को इस एप में साझा किया, जहां से बच्चे इसे सीख सके.
  8. तकनीकी जानकारी का उपयोग - इन्होंने कोविड 19 के समय बच्चों को रुचिकर शिक्षा देने के लिए क्विज निर्माण किया गया था, जहां इन्होंने अपना तकनीकी सहयोग प्रदान किया था.
  9. मॉडल निर्माण प्रतियोगिता का आयोजन - बच्चों में सीखने की क्षमता को बढ़ाने के लिए ये शाला स्तर पर बच्चों से विभिन्न विषयों पर मॉडल निर्माण करवाते हैं. बच्चे में इस क्रिया द्वारा ज्ञान स्थाई रहता है.
  10. ऑनलाइन और ऑफलाइन FLN प्रशिक्षण - FLN के ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों में प्रशिक्षण प्राप्त करके संकुल स्तर पर मास्टर ट्रेनर का कार्य बहुत अच्छे से किया. यहां से सीखी गई गतिविधियों को बच्चों तक बहुत अच्छे से पहुंचाने का प्रयास इनके द्वारा किया गया.
  11. कबाड़ से जुगाड़ - अनुपयोगी चीजों से उपयोगी चीजे बनाकर उसका बेहतरीन उपयोग करते हैं तथा बच्चों को भी सिखाते हैं. इनके मार्गदर्शन में माध्यमिक शाला के बच्चों ने पहले संकुल स्तर में फिर विकास खंड स्तर में चंद्रयान 3 का चलित माडल बनाकर प्रथम स्थान प्राप्त किया है. बच्चों के कार्यों में इनकी सिखाई चीजों की स्पष्ट झलक मिलती है. अब बच्चे बॉटल, गत्ते जैसे चीजों को फेकते नही हैं, बल्कि उसका कुछ शैक्षिक या आर्ट एंड क्राफ्ट में उपयोग करते हैं.
  12. नई तकनीकी जानकारी को बच्चों तक पहुंचना - अपने कबाड़ से जुगाड़ में ये तकनीकी को भी महत्व देते हैं. गत्ते से बनी कार में चक्के लगाकर मोटर और सेंसर का उपयोग करके लाइन फॉलोअर का निर्माण करके बच्चों को आधुनिक तकनीकी की जानकारी प्रदान की, जिससे बच्चों में विज्ञान के प्रति दृष्टिकोण और भी सकारात्मक हुआ.
  13. बैगलेस डे पर विभिन्न कार्यक्रम - शनिवार को बस्ता मुक्त शिक्षा पर नई-नई गतिविधियों का आयोजन इनके द्वारा कराया जाता है. विषय वस्तु पर आधारित क्विज प्रतियोगिता, जिसमें बच्चों के लिए रुचिकर और कम समय अवधि में तुरंत निर्णय के लिए बजर लगाया गया था, जिससे बच्चे बहुत खुश और उत्साहित थे. इसी तरह हर गतिवधि में कुछ नयापन लाकर बच्चों को क्रियाशील और उत्साहित रखते हैं. रंगोली प्रतियोगिता, चित्रकारी प्रतियोगिता, वाद विवाद प्रतियोगिता, सुलेख प्रतियोगिता आदि का नये तरीके से संचालन करते हैं.
  14. लयबद्ध प्रार्थना - साउंड सर्विस की सहयता से प्रतिदिन बच्चों को सस्वर गायन करा कर बच्चों के दिन की शुरुआत से ही अनुशासन और लगन की प्रेरणा इनके द्वारा दी जाती है. सुविचार और समाचार का उदबोधन भी कराया जाता है, जिससे बच्चों के सामान्य ज्ञान का विकास होता है.
  15. खिलौना निर्माण - इन्होंने बच्चों को कई तरीके के खिलौने का निर्माण करना सिखाया है जिससे बच्चे स्वयं निर्माण कर सकते हैं. जैसे बॉटल के ढक्कन से भौरा, बैलेंस मेन, फिरकी, पीपल के पत्ते से सीटी, डिस्पोजल से झूला आदि सम्मिलित हैं.
  16. स्वचछता पर विशेष ध्यान -बच्चों को स्वच्छ रहने और शाला परिसर को साफ रखने के लिए हमेशा प्रोत्साहित करते हैं. साफ सुथरे कपड़े, नाखून का बढ़ा न होना, आदि की जांच प्रतिदिन इनके द्वारा कराई जाती है.
अस्‍वीकरण: मैने यह कहानियां संबंधित शिक्षकों एवं उनके मित्रों व्दारा दी गयी जानकारी के आधार पर लिखी हैं, स्‍वयं उनका सत्‍यापन नही किया है.

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