उत्‍कृष्‍ट शिक्षकों की कथाएं
समस्‍त गुरुजनों के चरणों में वंदना करते हुये में आज से शिक्षकों के उत्‍कृष्‍ट कार्यों की कथाएं कहना प्रारंभ कर रहा हूं. शिक्षकों के इन कार्यों से मैं तो अभिभूत हूं, ही, मुझे विश्‍वास है कि आप सब भी प्रभावित होंगे. मुझे इस बात की भी आशा है कि शिक्षक भी इन कहानियों को पढ़कर एक दूसरे से सीख सकेंगे.

मॉडल बालवाड़ी का संचालन करने वाली चंचला चन्द्रा

चंचला चन्द्रा, सहायक शिक्षक, शासकीय प्राथमिक शाला झालरौंदा में 2009 से पदस्थ हैं. वे शिक्षा के प्रति समर्पण भावना से कार्य करती हैं. इनका शिक्षण गतिविधियों पर आधारित है, जिससे सभी बच्चे बहुत अच्छे से सीखते हैं. वे अपने शिक्षण में TLM का उपयोग करती हैं, जिससे सभी अवधारणायें प्रभावी ढंग से बच्चों तक पहुंचती हैं. शिक्षक और बच्चों के बीच में एक शैक्षणिक वातावरण का निर्माण होता है और बच्चे खुशी-खुशी सीखते रहते हैं. यह शिक्षिका बच्चों को मातृ भावना से सिखाती हैं.

कोविड-19 से जब पूरी दुनिया परेशान थी, उस समय भी यह चंचाला जी शिक्षा की अलख जगाए रखने के लिए ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से बच्चों से जुड़ी रहीं और वेबैक्स एप के माध्यम से क्लास लेती रहीं. शाला एवं प्रदेश स्तर के बच्चे इस कक्षा से जुड़कर शिक्षा प्राप्त करते थे. बच्चों को शिक्षा से जोड़े रखने के लिए वे विभिन्न प्रकार के खेल खिलौने का निर्माण करती रहीं, जिसमें मिट्टी के खिलौने, कागज से बनने वाले खिलौने एवं विज्ञान से संबंधित खिलौने आदि का समावेश करते हुए बच्चों को शिक्षा के धारा से जोड़े रखने के लिए तरह-तरह के क्रियाकलाप करती रहीं. इस बीच गूगल फॉर्म से क्विज प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाता रहा, जिसमें प्रदेश स्तर के बहुत सारे बच्चे जुड़कर इस प्रतियोगिता से अपना ज्ञान बढ़ाते रहे.

अंगना में शिक्षा के तहत स्मार्ट मॉम कम्युनिटी का निर्माण एवं सभी माता को अपने छोटे बच्चों को शिक्षा से कैसे जोड़े रखना है एवं घर में ही अपने सामान्य काम से कैसे शिक्षा देनी है इसपर विशेष चर्चा एवं माता द्वारा बहुत ही अच्छे से रिस्पांस देना एवं बाद में व्हाट्सएप ग्रुप एवं टेलीफोन कॉल के माध्यम से अपना फीडबैक देना कि बच्चों को अपने छोटे-छोटे कामों से गिनती, आकृति की पहचान, कम- ज्यादा, छोटा-बड़ा की पहचान, आदि इस तरीके से अपने काम करते हुए बच्चों को कैसे शिक्षण माहौल देना है पर विशेष चर्चा एवं माता को प्रशिक्षण देना इनका प्रमुख कार्य रहा.

चंचला जी एक मॉडल बालवाड़ी का संचालन भी करती हैं. पांच साल की उम्र के बच्चे बालवाड़ी में आते हैं और छोटी-छोटी कविता, कहानी एवं गणित में अंक पहचान, अंग्रेजी में लेटर की पहचान, एवं हिंदी में अक्षर का पहचान करते हैं. बहुत ही आसान तरीके से अपनी मातृ भाषा में कविता सुनाते हैं एवं कार्ड देखकर जानवरों, फलों एवं सब्जियों आदि के नाम बता लेते हैं. इनके व्दारा बालवाड़ी के संचालन का वीडियो देखकर विभाग के अधिकारियों द्वारा एक टेलीफिल्म का निर्माण कराया गया, जिसमें राज्य स्तर के फिल्म निर्माता वीडियोग्राफर के द्वारा एक वीडियोग्राफी की गई.

चंचला जी द्वारा बच्चों का कक्षा शिक्षण का वीडियो और फोटो उनके पलकों तक मल्टीमीडिया के माध्यम से पहुंचाया जाता है एवं पालक बहुत ही रुचि पूर्वक इस बालवाड़ी से जुड़े रहते हैं. बहु कक्षा शिक्षण का अनुभव एक समय में एक से अधिक कक्षा संचालन करने का इनका विशेष अनुभव है.

इनकी प्रमुख उपलब्धियां हैं
  1. स्मार्ट क्लास का संचालन - इस शिक्षिका द्वारा एक स्मार्ट क्लास का संचालन किया जाता है, जिसमें एक कक्षा को शैक्षणिक वातावरण के लिए तैयार किया गया है. कक्षा में प्रोजेक्टर के द्वारा विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम चलाए जाते हैं, जिसे बच्चे देख और सुनकर आसानी से कोई भी धारणा को समझ सकते हैं जब बच्चे किसी भी कहानी-कविता को देखते और सुनते हैं, वह उनको बहुत दिन तक याद रहता है.
  2. गतिविधि आधारित क्रियाकलाप - अपने शिक्षण के समय गतिविधि आधारित कक्षा पर विशेष ध्यान देती है एवं अपनी कक्षा में TLM का उपयोग करते हुए कोई भी चैप्टर को गतिविधि आधारित करके सभी बच्चों को उसे क्रियाकलाप में शामिल करती हैं, जिससे पाठ रोचक हो जाता है.
  3. ऑनलाइन कक्षा का संचालन - कोविड-19 के समय यह शिक्षिका ऑनलाइन कक्षा का संचालन करती रही, जिसमें अपने स्कूल के साथ-साथ प्रदेश स्तर के बच्चे भी इनके क्लास में शामिल होकर के इनके शिक्षण का लाभ ले रहे थे.
  4. ऑगमेंटेड रियलिटी एप का उपयोग - ऑगमेंटेड रियलिटी एप का उपयोग करते हुए विभिन्न जानवरों के वीडियो बच्चों के साथ बना कर उनको दिखाया जाता था, जिससे बच्चे और अच्छे तरीके से उनके साथ जुड़े रहते थे और कोविड-19 के समय बच्चे शिक्षा से बोर नहीं होते और खेल-खेल में ही पढ़ाई करते रहते हैं.
  5. एड्यूटर एप का उपयोग - शिक्षण को प्रभावित बनाने के लिए एडूटर एप का भी उपयोग किया जाता रहा है.
  6. क्विज प्रतियोगिता - गूगल फॉर्म के माध्यम से क्विज प्रतियोगिता का आयोजन कराते थे, जिसमें प्रदेश स्तर के बच्चे शामिल होकर कोविड-19 के समय भी शिक्षा से जुड़े रहे एवं जो बच्चे इस प्रतियोगिता में भाग लेते थे उनको विकासखंड शिक्षा अधिकारी एवं जिला शिक्षा अधिकारी तथा इस शिक्षिका के हस्ताक्षरित प्रमाण पत्र भी प्रदान किया जाता था। इस प्रतियोगिता में बहुत सारे बच्चों ने भाग लेकर इसका लाभ उठाया.
  7. ऑनलाइन FLN का पूर्ण कोर्स - इस शिक्षिका द्वारा ऑनलाइन FLN का पूर्ण कोर्स कंप्लीट कर लिया गया है और उसका कक्षा शिक्षण में उपयोग भी बहुत अच्छी तरीके से किया जाता है.
  8. अंगना में शिक्षा के लिए स्मार्ट मॉम कम्युनिटी का निर्माण - कक्षा पहली एवं दूसरी में अध्यनरत बच्चों के माताओं का एक कम्युनिटी बनाया गया। एवं सक्रिय माता को प्रोत्साहित भी किया गया. स्मार्ट माता पुरस्कार से नवाजा गया । इस कार्यक्रम को देखकर अन्य माताएं भी प्रभावित हुई और अपने बच्चों को अच्छे से शिक्षा देने के लिए तैयार हो गई। एवं शिक्षिका द्वारा बताया गया है कि छोटे बच्चों को घर में घरेलू कार्य करते हुए भी छोटी-छोटी एक्टिविटी के माध्यम से सिखाया जा सकता है जैसे की किचन में रखे सामान को लाने ले जाने में वस्तुओं की समझ छोटे-बड़े का ज्ञान वस्तुओं को गिन पाना, आकृति का पहचान, काम- ज्यादा की पहचान इत्यादि. अपने घरेलू कार्य को करते समय भी माता द्वारा बच्चों को सिखाया जा सकता है ऐसा बताया गया जिससे माताएं बहुत ज्यादा प्रभावित हुई एवं इसका असर बाद में बच्चों पर भी दिखा.
  9. खिलौना निर्माण - इनके द्वारा बहुत ही शिक्षाप्रद अच्छे-अच्छे खिलौने तैयार किए जाते हैं जो यूट्यूब पर भी उपलब्ध है। यह अपनी कक्षा में शिक्षण के लिए विभिन्न खिलौने का उपयोग भी करते हैं। पर्यावरण में शिक्षण के लिए अच्छे-अच्छे खिलौने निर्माण करते हैं और बच्चों से भी खिलौने बनवाते हैं जिससे बच्चे पाठ को आसानी से समझ जाते हैं। तथा इनके द्वारा बहुत से खिलौने बनाए गए हैं जिसमें मिट्टी के खिलौने, पेपर से निर्मित खिलौने एवं विज्ञान से संबंधित खिलौने शामिल है इनका एक खिलौना एससीईआरटी द्वारा निर्मित खिलौना बुक में भी प्रकाशित है.
  10. बहु कक्षा शिक्षण का अनुभव - इनको बहुकक्षा शिक्षण का अनुभव बहुत अच्छे तरीके से है यह एक समय में दो से तीन कक्षाओं का शिक्षण कराती हैं एवं बच्चे बहुत अच्छे से सीखते हैं और अनुशासित रहते हैं.
  11. उत्कृष्ट शिक्षा के गुण - इस शिक्षिका में उत्कृष्ट शिक्षा के बहुत सारे गुण हैं यह अपने सामाजिक जीवन में शिक्षा को विशेष महत्व देती हैं एवं विशेष आवश्यकता आधारित बच्चों को शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करती हैं और बच्चों को क्या-क्या नया सिखाया जा सकता है उसके लिए हमेशा तत्पर रहती हैं और अपने शिक्षण कौशल में नवाचार को हमेशा स्थान देती रहती हैं.
  12. पालकों के साथ संपर्क रखे रहना - शिक्षिका पालकों के साथ हमेशा जुड़ी रहती हैं, जिससे बच्चों की समस्या एवं स्कूल की गतिविधि पालकों तक मल्टीमीडिया के माध्यम से व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर एवं यूट्यूब के द्वारा स्कूल के कार्यक्रमों को एवं कक्षा शिक्षण को पलकों तक पहुंचाना तथा पलकों की समस्या का समाधान करना इनका विशेष कार्यों में शामिल है.
  13. कबाड़ से जुगाड़ - कबाड़ से जुगाड़ में इनका पकड़ बहुत अच्छे से है यह अनुपयोगी वस्तुओं से तरह-तरह के TLM एवं खिलौने निर्माण कर लेती हैं कबाड़ से जुगाड़ प्रतियोगिता में संकुल स्तर एवं विकास खंड स्तर में प्रतिभागिता निभा चुकी है.
  14. शाला परिसर में स्वच्छता का निर्माण - यह स्वच्छ पसंद शिक्षकों में से हैं जो स्कूल परिसर की सफाई एवं अनुशासन को अपना मुख्य कार्यों में से मानती हैं और अपने स्कूल परिसर की सफाई पर विशेष ध्यान देती हैं एवं सभी बच्चे अनुशासन के साथ स्कूल में शैक्षणिक गतिविधि में शामिल रहते हैं.
  15. लयबद्ध तरीके से प्रार्थना - दिन की शुरुआत के लिए प्रार्थना बहुत जरूरी होती है सबसे पहले स्कूल में प्रार्थना जब होती है तो उसको लयबद्ध तरीके से बनाने के लिए साउंड सर्विस का उपयोग किया जाता है तथा बच्चे लय के साथ एक स्वर में साउंड सर्विस के माध्यम से बहुत अच्छे से प्रार्थना करते हैं। और प्रार्थना में एकरूपता बनी रहती है और प्रार्थना मनमोहक लगता है.
  16. बैगलेस डे का आयोजन - प्रत्येक सप्ताह में शनिवार को बैगलेस डे का आयोजन किया जाता है जिसमें नई-नई गतिविधियां शामिल की जाती हैं जैसे नृत्य, रंगोली प्रतियोगिता, मेहंदी लगाओ प्रतियोगिता, गमला सजावट प्रतियोगिता, दीपक सजाओ प्रतियोगिता, आर्ट एंड क्राफ्ट, चित्रकारी प्रतियोगिता एवं विभिन्न शैक्षणिक कार्यक्रमों को इस दिन आयोजन कराया जाता है, जिसमें बच्चों की उपस्थिति बहुत ही अच्छी और बच्चे बहुत ही उत्साह के साथ इस कार्यक्रम में भाग लेते हैं और भय मुक्त शिक्षा के लिए इसका आयोजन किया जाना नितांत आवश्यक है.
  17. सामूहिक शिक्षण - प्रतिदिन सोमवार से शुक्रवार तक 3 बजे से 3.30 तक विभिन्न विषयों पर सामूहिक शिक्षण कराई जाती है तथा 3.30 से 4 बजे तक शारीरिक शिक्षा से संबंधित खेलकूद एवं गतिविधि आधारित शिक्षण कराई जाती है जिससे बच्चे शाला समय में शैक्षणिक माहौल में बने रहते हैं एवं अनुशासन के साथ शिक्षा प्राप्त करते हैं जिससे बच्चों में सर्वांगीण विकास होता है.
अस्‍वीकरण: मैने यह कहानियां संबंधित शिक्षकों एवं उनके मित्रों व्दारा दी गयी जानकारी के आधार पर लिखी हैं, स्‍वयं उनका सत्‍यापन नही किया है.

Visitor No. : 7679047
Site Developed and Hosted by Alok Shukla