उत्‍कृष्‍ट शिक्षकों की कथाएं
समस्‍त गुरुजनों के चरणों में वंदना करते हुये में आज से शिक्षकों के उत्‍कृष्‍ट कार्यों की कथाएं कहना प्रारंभ कर रहा हूं. शिक्षकों के इन कार्यों से मैं तो अभिभूत हूं, ही, मुझे विश्‍वास है कि आप सब भी प्रभावित होंगे. मुझे इस बात की भी आशा है कि शिक्षक भी इन कहानियों को पढ़कर एक दूसरे से सीख सकेंगे.

सामुदायिक सहभागिता के लिए हर संभव प्रयास करने वाली शिक्षिका निर्मला शर्मा

निर्मला शर्मा 2008 से पाली विकासखंड, संकुल नुनेरा के एक मोहल्ले चोकपारा (प्रा.शा. चोकपारा) जो उनके घर से 65 कि.मी. दूर है, में पदस्थ हुईं. उनके वहां जाने के पूर्व यह विद्यालय शिक्षक विहीन था. पदस्‍थ होते ही मन मे एक अच्छे स्कूल भवन और भरपूर स्टाफ की कल्पना ही ध्वस्त हो गई. उन्होंने जब देखा कि शाला मे दर्ज संख्या तो बहुत ज्यादा है परंतु बच्चे स्कूल बहुत कम आते हैं, तब सबसे पहले उपस्थिति बढ़ाने के लिए उन्होंने घर-घर जा कर पालक संपर्क किया, परंतु प्रारंभ में पालको की ओर से कोई सकरात्मक परिणाम नहीं आया. तब उन्होंने समय-समय पर गाँव के बीच मे जाकर शिक्षा चौपाल लगाए और पालकों को शाला से जोड़ने मे सफल हुईं. इसी कड़ी मे माता उन्मुखीकरण, सुग्घर महतारी सुग्घर लईका, अंगना म शिक्षा, तिथि भोजन, कम्युनिटी लंच, आदि अनेक तरीकों से बच्चों व पालकों का विश्वास जीता, जिसका सुखद परिणाम यह रहा है कि अब उस स्कूल मे बच्चों की शत प्रतिशत उपस्थिति वह भी पूर्ण साफ सुथरे गणवेश मे होती है.

निर्मला शर्मा के महत्वपूर्ण कार्य -
  1. शाला भवन को आकर्षक बनाया
  2. SMC बैठकों मे अधिकतम उपस्थिति
  3. शिक्षा मडई 2019 मे शाला के बच्चों को जिला स्तर तक पुरस्कृत
  4. संकुल स्तरीय सभी कार्यक्रमों मे उनके ही विधार्थी अव्वल
  5. PTD 2.0 2021मे उनके विधार्थी चयनित
  6. माता उन्मुखीकरण कार्यक्रमों मे माताओं की पूर्ण सहभागिता
  7. हर शनिवार बैगलेस डे पर विभिन्न गतिविधियां
  8. प्रति वर्ष कबाड़ से जुगाड़ संकुल स्तरीय प्रतियोगिता मे प्रथम स्थान
  9. वे संभाग, जिला, विकासखंड, एवम ज़ोन स्तर पर विभिन्न प्रशिक्षणों मे मास्टर ट्रेनर हैं
अस्‍वीकरण: मैने यह कहानियां संबंधित शिक्षकों एवं उनके मित्रों व्दारा दी गयी जानकारी के आधार पर लिखी हैं, स्‍वयं उनका सत्‍यापन नही किया है.

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