समस्त गुरुजनों के चरणों में वंदना करते हुये में आज से शिक्षकों के उत्कृष्ट कार्यों की कथाएं कहना प्रारंभ कर रहा हूं. शिक्षकों के इन कार्यों से मैं तो अभिभूत हूं, ही, मुझे विश्वास है कि आप सब भी प्रभावित होंगे. मुझे इस बात की भी आशा है कि शिक्षक भी इन कहानियों को पढ़कर एक दूसरे से सीख सकेंगे.
कुशल चित्रकार एवं साहित्यकार, बहुमुखी प्रतिभा के धनी कन्हैया साहू
एक शिक्षक अपने आप में पूर्ण होता है. इस कहावत को बहुमुखी प्रतिभा के धनी एक शिक्षक ने कर दिखाया है. जिला बलौदाबाजार के भाटापारा वि.खं. में एक सुदूर ग्राम लमती है. यहाँ के प्राथमिक विद्यालय में पिछले पंद्रह वर्षों से पदस्थ सहायक शिक्षक कन्हैया साहू बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं. वे एक कर्तव्य एवं समयनिष्ठ शिक्षक होने के साथ-साथ कुशल चित्रकार व सफल साहित्यकार भी हैं. अपने विद्यालय में पेंटिंग्स संबंधी सभी कार्य साहू जी स्वयं करते हैं. प्रिट रिच वातावरण का निर्माण, विद्यार्थियों के अनुकूल अपने हाथों से करते रहते हैं. वे अपने विद्यार्थियों के समक्ष एक जीवंत व उत्कृष्ट उदाहरण रखने का प्रयास करते हैं. अध्यापन के दौरान विद्यार्थियों को विविध रंगों से परिचित कराते हैं एवं चित्रकारी की बारीकियों को समझने हेतु प्रेरित करते हैं.
कन्हैया साहू कक्षा की आवश्यकता के अनुसार सहायक शिक्षण सामग्री का निर्माण और नवाचारी गतिविधियों का उपयोग करते हैं जहाँ इनकी चित्रकला काम आती है. शिक्षक साहू जी अपनी तूलिकाओं आकर्षक रंगों व सुंदर अक्षरांकन इनकी निर्मित शिक्षण सामग्रियों की विशेषताएँ होती है.
साहू जी शिक्षक के साथ-साथ एक लेखक व संवेदनशील कवि भी हैं. छंदमय काव्य सृजन में इन्होंने अपना लोहा मनवाया है. राष्ट्रीय एवं स्थानीय समाचार पत्रों इनकी कविताओं और आलेखों का प्रकाशन समय-समय पर होता रहता है. वे हिंदी व छत्तीसगढ़ी भाषा में सामांतर लेखन कार्य करते हैं. इनकी सिध्दता बाल साहित्य सृजन में विशेष उल्लेखनीय है. इनके बाल काव्य संग्रह की किताबें हिंदी व छत्तीसगढ़ी में प्रकाशित हैं.
इन्होंने छत्तीसगढ़ी में छांदस ग्यारह सौ मौलिक जनऊला सृजन किया है, जो पुस्तक के रूप में छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के अनुदान से प्रकाशित भी है. जनऊला की यह अनूठी किताब विद्यार्थियों में विभिन्न वस्तुओं से खेल-खेल में परिचय कराने हेतु अत्यंत उपयोगी है. इनके अब तक प्रकाशित पुस्तकों में प्रमुख कविताई कैसे करूँ, छत्तीसगढ़ के छत्तीस रतन, छत्तीसगढ़ के छत्तीस खेल, फुरफुन्दी, जयकारी जनऊला, करता कौन कमाल, छत्तीसगढ़ के खेलगीत आदि हैं. इसके साथ ही साथ इन्होंने 'छत्तीसगढ़ी वर्णमाला' का भी काव्यात्मक सृजन किया है. साहू जी ने विशुध्दता के साथ शिक्षा चालीसा, बेटी चालीसा, शिक्षक चालीसा, नारी चालीसा, छत्तीसगढ़ चालीसा, भाटापारा चालीसा, सरस्वती चालीसा छंदबध्द किए हैं.
साहू जी समयानुसार अपने आप को विभिन्न प्रशिक्षणों से अद्यतन करते रहते हैं. वे राज्य स्त्रोत व्यक्ति के रूप में नामांकित हैं व बहुभाषी शिक्षण में छत्तीसगढ़ी भाषा के प्रतिनिधि के रूप में राज्य कार्यालय को अपना सहयोग प्रदान करते हैं. छत्तीसगढ़ी भाषा के जानकार के रूप में छत्तीसगढ़ी पाठ्यपुस्तक लेखन समिति में भी इनका नाम सम्मिलित है.
इन्होंने अपनी विशेष रुचि लेकर विद्यालय में किचन गार्डन व वृक्षारोपण के विशेष कार्य किए हैं. कन्हैया साहू के प्रयास सराहनीय व अनुकरणीय है. वे विद्यालय व विद्यार्थियों के संपूर्ण विकास हेतु दृढसंकल्पित हैं. साहू जी विद्यालय के भौतिक विकास हेतु अपने वेतन से प्रतिमाह एक हजार रुपये की राशि पदस्थ विद्यालय को सहयोग करते हैं. इनके इस कार्य से समुदाय के लोग भी अपनी क्षमता अनुसार आर्थिक सहयोग प्रदान करते हैं ताकि विद्यार्थियों के मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति सुचारू रूप होती रहे. साहू जी स्वयं एवं समुदाय के सहयोग से अपने विद्यालय में स्मार्ट क्लास योजना के क्रियान्वयन हेतु दृढसंकल्पित होकर प्रयासरत हैं.
साहू जी बाल साहित्य के अध्येता और सृजनकार हैं अतैव अपने विद्यालय हेतु भी बाल साहित्य की उपलब्धता सुनिश्चित करके रखे हैं. विद्यार्थियों हेतु प्रतिमाह 'किलोल', 'बालभारती', 'चकमक', 'देवपुत्र', 'बाल वाटिका', 'बाल प्रहरी', 'बाल भास्कर' इत्यादि प्रमुख रूप से आती हैं. बाल पत्रिकाओं पर वे स्वयं व्यय करते हैं ताकि विद्यार्थियों को बाल साहित्य के प्रति जागरूक किया जा सके. बाल साहित्य से विद्यालय एवं विद्यार्थी सतत लाभान्वित हो यही इनका उद्देश्य है.
कन्हैया साहू अपनी सामाजिक सहभागिता का निर्वहन भी बखूबी करते हैं. इन्होंने मृत्युपरांत अपने देहदान का संकल्प कर 'एम्स रायपुर' के लिए कर रखे हैं. वे अंचल में नियमित रक्तादाता के रूप में जाने जाते हैं. अपनी स्वेच्छा से बिना किसी जाति, धर्म एवं संबंध को जाने बिना आवश्कतानुसार रक्तदान करते हैं.
इस तरह साहू जी एक नवाचारी शिक्षक, कुशल चित्रकार, अपनी मातृभाषा के विशिष्ट जानकार, उत्कृष्ट बालसाहित्यकार, विद्यालय के प्रति संवेदनशील, सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में अपने कर्तव्यों का सहजता से निर्वहन कर रहे हैं. शासन की ओर से इन्हें मुख्यमंत्री शिक्षा गौरव सम्मान 'शिक्षादूत 2020' से सम्मानित किया गया है.
अस्वीकरण: मैने यह कहानियां संबंधित शिक्षकों एवं उनके मित्रों व्दारा दी गयी जानकारी के आधार पर लिखी हैं, स्वयं उनका सत्यापन नही किया है.