समस्त गुरुजनों के चरणों में वंदना करते हुये में आज से शिक्षकों के उत्कृष्ट कार्यों की कथाएं कहना प्रारंभ कर रहा हूं. शिक्षकों के इन कार्यों से मैं तो अभिभूत हूं, ही, मुझे विश्वास है कि आप सब भी प्रभावित होंगे. मुझे इस बात की भी आशा है कि शिक्षक भी इन कहानियों को पढ़कर एक दूसरे से सीख सकेंगे.
क्रियेटिव शिक्षक रंजय कुमार सिंह
रंजय कुमार सिंह वर्तमान में प्रधान पाठक के पद पर अम्बिकापुर से 20 किलोमीटर दूर ग्रामीण अंचल में प्राथमिक शाला सड़कपारा, तुलसी, संकुल गंगापुर, विकास खण्ड एवम् जिला सूरजपुर में पदस्थ हैं. वे 1996 से शिक्षा विभाग में अपनी सेवा देते आ रहे हैं. ग्रामीण अंचल के एक छोटे से ग्राम सारसताल की शाला में अध्ययनरत बच्चों के सर्वांगीण विकास हेतु वे सतत प्रयासरत हैं.
सन 1996 में जब उन्होने वैकल्पिक शाला के रूप में गांव में कच्चे मकान में कार्य आरंभ किया तब यहाँ के बच्चों को देखकर अंचभित हो गये. उस समय यहाँ के बच्चे अपने आप पर बिल्कुल ध्यान नही देते थे. कपड़े गन्दे, बाल बड़े, नाखून बढे, नाक, दाँतो की सफ़ाई तक नियमित नही करते थे. शाला में उपस्थिति भी बहुत ही कम होती थी. तब उन्होने सोचा कि सबसे पहले इसी पर ध्यान दिया जाये. साफ सफ़ाई पर लगातार विषेश समझाईश देते हुए कार्य प्रारंभ किया. धीरे-धीरे बच्चो में बहुत सुधार आ गया. आज वही बच्चे साफ-सुथरे कपडे, बेल्ट, टाई लगाकर नियमित शाला आने लगे. 100% उपस्थिति हेतु पालक संपर्क के अलावा लगातार उपस्थित होने वाले बच्चों के उत्साहवर्धन हेतु प्रार्थना के समय माह में लगातार उपस्थित बच्चो को पुरस्कार देकर सम्मानित किया जाता रहा है. ऐसे बच्चे जो बिना किसी सूचना के अनुपस्थित रहते हैं उनके घर जाकर अपनी बाइक में बैठाकर के लाते है जिससे बच्चे नियमित उपस्थित रहते है.
अक्तूबर 2022 में प्रधान पाठक के पद पर पदोन्नति के बाद प्राथमिक शाला सड़कपारा तुलसी में पदस्थापना हुई. उन्होने यहां पदस्थ होने के बाद से यहां का भी काया कल्प कर दिया. यहां भी बच्चो को टाई बेल्ट के साथ अन्य सभी सुविधाए स्वयं के व्यय से उपलब्ध कराकर सुंदर विद्यालय विकसित किया, जिसकी चर्चा पूरे क्षेत्र में है. शिक्षक यदि चाहे तो अच्छी शिक्षा के साथ-साथ नैतिक मूल्यों को भी विकसित कर सकते हैं. रंजय कुमार ने इसे साबित किया है.
तुलसी में प्राथमिक एवम् माध्यमिक विद्यालय एक स्थान पर ही स्थित हैं. दोनो विद्यालयों की प्रार्थना सभा के साथ अन्य सभी कार्य एक साथ किया जाता है. इनकी पदस्थापना के बाद से सुंदर विद्यालय विकसित हुआ है. सभी बच्चों ने माता-पिता के चरण स्पर्श कर के नियमित विद्यालय आना आरंभ कर दिया है. उपस्थिति का प्रतिशत बढ़ा है. बच्चो को आकर्षित करने के लिये खेल-खेल में शिक्षा, गीत, कविता आदि से शिक्षा, बाल केंद्रित शिक्षा, कर के सीखने पर बल देने के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम करा कर बच्चो का उत्साह वर्धन करने का प्रयास किया जा रहा है.
रंजय कुमार सिंह ने अनेको श्रेष्ठ कार्य किये हैं, जैसे सामुहिक सहभागिता से शालेय प्रांगण में अस्थाई घेरा बनाकर बृहद किचन गार्डन का निर्माण, वृक्षारोपण करना, संस्कृत के कठिन मंत्रो के साथ नियमित मध्यान्ह भोजन करना, अभिभावक एवम् जनप्रतिनिधियों के सहयोग पाईप लाईन बिछाकर पानी की टँकी लगवाकर 24 घण्टा पानी की व्यवस्था करना, बिजली, शाला को सुंदर पेंटिंग करवाना, मध्यान्ह भोजन कक्ष का निर्माण, बालक बालिकाओं हेतु अलग अलग लेट-बाथ की व्यवस्था आदि. शासन/जनप्रतिनिधियों/सामूहिक सहभागिता से अनेकों कार्य पूर्ण कराये गये हैं, जिससे श्री सिंह की जिले में अलग पहचान बनती है. इसी कार्य व्यवहार, मेहनत, कार्ययोजना के चलते जिला स्तर पर श्रेष्ठ शिक्षक पुरस्कार मिला. रंजय सिंह जी को शासन स्तर पर मुख्यमंत्री गौरव अलंकरण भी शिक्षक दिवस के अवसर पर मिल चुका है. उन्होंने पुरस्कार से प्राप्त राशि से बच्चो को स्टेशनरी, पेंटिंग ड्राइंग सामग्री इत्यादि का वितरण किया है. उनकी सोच है, कि बच्चो के कारण ही पुरस्कार प्राप्त हुआ है. शिक्षा एवम् सामाजिक क्षेत्र में जिले में एक कर्मठ शिक्षक के रूप में उनकी अलग पहचान है.
कोरोना काल में भी श्री सिंह सतत सक्रिय रहे. उस वक्त श्री सिंह को अपनी शाला के निर्धन बच्चों की चिंता थी. श्री सिंह निर्णय लिया कि वे शाला में अध्ययनरत बच्चो के घर-घर जाकर उन्हें अपने निजी खर्च से मास्क लेकर दूँगा. साथ ही लगातार कोरोना की रोकथाम हेतु लोगो को समझाइश देते हुये अनेको जागरूकता कार्यक्रम किये. 700 से ज्यादा ऑनलाइन क्लास भी लिया. ग्रामीण क्षेत्र में मोबाइल की अनुपलब्धता रहने के बावजूद आस-पास के बच्चो को एक स्थान पर उपस्थित रहकर सुबह शाम एवं रविवार को भी नियमित क्लास लिया. मोहल्ला क्लास भी नियमित लिया. इससे बच्चे नियमित शिक्षा से जुड़े रहे. समय-समय पर टाई, बेल्ट, कॉपी-पेन आदि वितरित करके अत्यंत निर्धन बच्चों को आर्थिक सहयोग करने जैसे श्रेष्ट कार्य उन्होने किये है.
उन्होने अनेको नवाचार भी किये हैं, जैसे, किचन गार्डन, निर्धन व पढ़ाई में कमजोर बच्चो को गोद लेना, बाल संसद का गठन, खेल-खेल में शिक्षा, गीत सीखना, गीत नृत्य से शिक्षा, कबाड़ से जुगाड़, पेंटिंग, रंगोली, लिखावट सुधार हेतु प्रतिदिन एक पेज कॉपी लिखकर लाना प्रतियोगिता, आदि.
अस्वीकरण: मैने यह कहानियां संबंधित शिक्षकों एवं उनके मित्रों व्दारा दी गयी जानकारी के आधार पर लिखी हैं, स्वयं उनका सत्यापन नही किया है.