उत्‍कृष्‍ट शिक्षकों की कथाएं
समस्‍त गुरुजनों के चरणों में वंदना करते हुये में आज से शिक्षकों के उत्‍कृष्‍ट कार्यों की कथाएं कहना प्रारंभ कर रहा हूं. शिक्षकों के इन कार्यों से मैं तो अभिभूत हूं, ही, मुझे विश्‍वास है कि आप सब भी प्रभावित होंगे. मुझे इस बात की भी आशा है कि शिक्षक भी इन कहानियों को पढ़कर एक दूसरे से सीख सकेंगे.

साबुन बैंक वाले शिक्षक पुष्पेंद्र कुमार कश्यप

पुष्पेंद्र कुमार कश्यप (सहायक शिक्षक के पद पर शासकीय प्राथमिक शाला सकरेली ब में पदस्थ हैं. उनकी शिक्षा विभाग मैं सर्वप्रथम नियुक्ति सहायक शिक्षक के पद पर 2007 में प्राथमिक शाला गतवा में हुई थी. दो वर्ष सेवाएं देने के बाद युक्तियुक्तकरण के तहत 2009 में प्राथमिक शाला सकरेली ब में स्थानांतरण हुआ. बच्चों की अधिक संख्या और शिक्षकों की कमी की परिस्‍थितियों में भी बच्चों को सुखद और अनुकूल शैक्षिक वातावरण में रखने की समझ वहां विकसित हुई. उन्‍होने विभिन्न नवाचारों के व्दारा अध्यापन कार्य किया, जिसके परिणामस्वरुप बच्चों की शैक्षिक गुणवत्ता में वृध्दि हुई. साथ ही खेल एवं व्यायाम का अभ्‍यास भी वे बच्चों को कराते रहे. कोरोना कल में भी बच्चों को शिक्षा के मुख्य धारा से जोड़े रखने के लिए मिस्‍ड कॉल गुरूजी, हमर पारा टोली योजना, ऑनलाइन शिक्षा आदि के व्दारा विभिन्न शिक्षा की अलख जगाये रखी, जिसके लिए उन्‍हें 2022 में राज्य के सर्वोच्च शिक्षक पुरस्कार - "राज्य शिक्षक पुरस्कार" से सम्मानित किया गया.

साबुन बैंक की शुरुवात - एक दिन पुष्‍पेंद्र ने देखा कि एक बच्चे ने खाने के पूर्व अपने थाली को पकड़कर हैंडपंप के पास खड़े होकर थाली में पानी लिया और हल्का सा हाथ धोकर खाने के लिए बैठ गया. यह देखकर उन्‍हें लगा कि थाली बच्‍चे के हाथ ठीक से साफ नही हुये है. वे कुछ बच्चों को बुलाकर पुनः हैंडपंप के पास ले गये और थाली में पानी लेकर सभी बच्चों को हैंड वॉश प्रदान किया. अपनी-अपनी थाली के पानी में हाथ धोने को कहा. जब बच्चों ने हाथ धोये तो बच्चों के हाथ से मैल निकल कर थाली के पानी में चला गया और पानी का रंग काला हो गया. दूसरे दिन से उन्‍होने बच्चों को साबुन देना प्रारंभ किया और बच्चों को खाने के पूर्व हाथ धुलाई हेतु प्रेरित किया. बच्चों को हाथ धोने के सही विधि सिखायी. धीरे-धीरे बच्चे प्रतिदिन अपने हाथ धोकर खाना खाने लगे. दर्ज संख्या अधिक होने के कारण सभी के लिए हैंड वॉश उपलब्ध कराना आसान नहीं था. इसके लिए सरकार से भी कोई विशेष फंड की सुविधा शासकीय स्कूलों में नहीं होती है. पुष्‍पेंद्र ने गांव के गणमान्य नागरिकों एवं पालको की बैठक रखी और उनकी उपस्थिति में शाला में साबुन बैंक का गठन किया. पालकों को अपने घर में किसी सदस्य के जन्मदिन या अन्य खुशी का अवसर पर साबुन हैंड वॉश शाला को प्रदान करने के लिए प्रेरित किया.

हाथधुलाई हेतु जागरूकता रैली - 14 अक्टूबर 2022 को मैंने स्कूली बच्चों और शिक्षकों की मदद से साबुन बैंक के लिए साबुन हैंड वॉश और हाथ धुलाई हेतु पालकों को जागरूक करने के लिए जागरूकता रैली निकाली और गांव के गणमान्य नागरिकों को जगह-जगह स्वच्छता के लिए हाथ धुलाई हेतु जागरूक किया. घर-घर जाकर शाला को साबुन हैंड वॉश प्रदान करने की अपील की. जागरूकता रैली में 140 साबुन और 45 हैंड वॉश दान में प्राप्‍त हुये. नागरिक अपने जन्म दिन पर साबुन हैंड वॉश प्रदान करते हैं, उसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपलोड किया. इसे देखकर छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों के शिक्षक-शिक्षिकाएं और गणमान्य नागरिक साबुन बैंक के लिए सहयोग राशि अपने जन्म दिवस पर देते गए. इस तरह धीरे-धीरे हमारे साबुन बैंक का विस्तार होता गया. सहयोग करने करने वाले नागरिकों को हमारी संस्था व्दारा सर्टिफिकेट देकर सम्मानित किया गया. आज हमारे साबुन बैंक में 2 वर्ष के लिए साबुन हैंड वॉश और रुपये 5000 की राशि जन समुदाय के सहयोग से जमा हो गयी है.

साबुन बैंक हेतु साबुन बैंक प्रभारी – पुष्‍पेंद्र ने सप्ताह के प्रत्येक दिन के लिये दो बच्चों को साबुन बैंक प्रभारी बनाकर प्रभार नियुक्त किया. इस तरह सप्ताह में 12 बच्चे प्रत्येक दिन सभी बच्चों को हैंड वॉश से हाथ धुलाते हैं और उसके बाद बच्चों को खाना खिलाते हैं.

साबुन बैंक अन्य शिक्षकों के लिए प्रेरणा बना - प्राथमिक शाला सकरेली ब के साबुन बैंक से प्रेरित होकर जांजगीर और बिलासपुर के विभिन्न शिक्षक-शिक्षिकाओ व्दारा अपने विद्यालय में साबुन बैंक संचालित किया गया, जिसमें जांजगीर जिले से शिक्षक दिलीप कुमार साहू, राजेश सूर्यवंशी, सुखलाल डनसेना एवं बिलासपुर जिले से भारत लाल साहू, बिल्हा से कलेश्वर साहू सम्मिलित हैं.

अस्‍वीकरण: मैने यह कहानियां संबंधित शिक्षकों एवं उनके मित्रों व्दारा दी गयी जानकारी के आधार पर लिखी हैं, स्‍वयं उनका सत्‍यापन नही किया है.

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