समस्त गुरुजनों के चरणों में वंदना करते हुये में आज से शिक्षकों के उत्कृष्ट कार्यों की कथाएं कहना प्रारंभ कर रहा हूं. शिक्षकों के इन कार्यों से मैं तो अभिभूत हूं, ही, मुझे विश्वास है कि आप सब भी प्रभावित होंगे. मुझे इस बात की भी आशा है कि शिक्षक भी इन कहानियों को पढ़कर एक दूसरे से सीख सकेंगे.
सीखने-सिखाने के लिये उचित वातावरण का निर्माण करती हैं दीप्ति दीक्षित
दीप्ति दीक्षित वर्तमान 19 सितंबर 2022 से शासकीय प्राथमिक शाला धनरास में पदस्थ हैं. शिक्षक के रूप में उनकी पहली जवाबदारी थी कि विद्यालय के बच्चों को अपेक्षित दक्षता स्तर तक लाया जा सके तथा बच्चों में प्रतिदिन विद्यालय आने के की रुचि जागृत हो. इसके लिए उन्होने विद्यालय में बच्चों के लिए खिलौना कॉर्नर का निर्माण किया. वे बच्चों से प्रतिदिन भोजन अवकाश के दौरान तथा छुट्टी के दिनों में खिलौने बनावाती हैं. यह खिलोने कबाड़ सामग्री तथा आसानी से उपलब्ध होने वाले कम लागत के संसाधनों से निर्मित होते हैं. उन्होने बच्चों के साथ मिलकर लगभग 50 खिलौने बनाए तथा इनका उपयोग सहायक शिक्षण सामग्री के रूप में किया.
फिलफिली, पज़ल, जंपिंग-बॉल, मुखौटे, चकरी, गुलेल, तीर-धनुष, मिट्टी के खिलौने, डुगडुगी, आदि खिलौने बनाए गये हैं. वे विकासखंड तथा संभाग स्तर पर खिलौना आधारित शिक्षा के लिये मास्टर ट्रेनर के रूप में भी कार्य करती हैं. उन्होने FLN छतरी का निर्माण किया, जो बच्चों की अकादमिक उपलब्धियों के आकलन से संबंधित है. दीप्ति जी ने NCERT की तर्ज पर जादूई पिटारे का निर्माण किया है, जिसमें उन्होने 100 से अधिक खिलौने बनाकर रखे हैं, जो बच्चों के लर्निंग आउटकम से संबंधित हैं. उन्होने विभिन्न प्रकार की कठपुतलियों का निर्माण भी किया है जो शिक्षण कार्य को और भी रुचिकर एवं आनंददायक बनाते हैं.
इस सबके अतिरिक्त दीप्ति जी ने सामुदायिक सहभागिता के माध्यम से प्रिंट रिच वातावरण, गणित कार्नर, हिंदी कॉर्नर, कबाड़ से जुगाड़ प्रयोगशाला तथा किचन गार्डन का भी निर्माण किया है. बच्चों में अभिव्यक्ति कौशल के विकास के लिए उन्होने चित्रों पर चर्चा नामक एक नवाचार भी किया है, जिसमें उन्होने पुराने अखबार, पुरानी पुस्तकों, पत्रिकाओं आदि से चित्रों का संग्रह किया और फिर कक्षा तीसरी से पांचवी तक के लगभग बच्चों को एक-एक चित्र दे दिया एवं इस चित्र के बारे में लिखने को कहा गया. बच्चों ने उन चित्रों के बारे में बहुत ही अच्छा लिखा. उन्होंने अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति बहुत ही अच्छे तरीके से की. इस प्रकार बच्चों में रचनात्मक लेखन का विकास हुआ.
बच्चों को पर्यावरण पढ़ाने के लिए दीप्ति जी ने बहुत से छोटे-छोटे विज्ञान के ऐसे प्रयोग कराये, जो बच्चे अपने दैनिक जीवन में रोज देखते हैं, परंतु उन्हें विज्ञान से नहीं जोड़ पाते. छोटे बच्चों को हिंदी पढ़ाने के लिए उन्होने गीत, कविता आदि का सहारा लिया.
विद्यालय प्रबंधन समिति के सदस्यों को विद्यालय से जोड़ने के लिए दीप्ति जी ने सामुदायिक सहभागिता से दो सिलाई मशीनों की व्यवस्था की, जिससे माध्यमिक शाला की बालिकाएं तथा गांव की महिलाएं प्रतिदिन सिलाई सीख सकें और अपने घर में ही काम करते कुछ पैसे कमा सकें. सिखाने के लिये एक समुदाय से ही महिला का चयन किया जो सिलाई कढ़ाई के काम में निपुण थी. जब महिलाएं विद्यालय आती हें तो दीप्ति उनसे उनके बच्चों की उपलब्धि के बारे में चर्चा करती हें तथा उन्हें नियमित घर में पढ़ने को प्रेरित करती हैं.
दीप्ति जी ने विद्यालय में बच्चों के लिए कंप्यूटर प्रशिक्षण तथा स्मार्ट क्लास की भी शुरुआत की है. श्रव्य दृश्य माध्यम के से बच्चे पाठ को और आसानी से समझ सकते हैं. बच्चों में वैज्ञानिक सोच को विकसित करने के लिए छोटे-छोटे प्रायोगिक कार्य कराए जाते हैं. विद्यालय में एक बहुत सुंदर गार्डन का निर्माण किया गया है. रोटरी क्लब ऑफ़ मिड टाउन ने विद्यालय के बच्चों को स्कूल बैग, जूते मोजे एवं खेल सामग्री प्रदान की गई है.
अस्वीकरण: मैने यह कहानियां संबंधित शिक्षकों एवं उनके मित्रों व्दारा दी गयी जानकारी के आधार पर लिखी हैं, स्वयं उनका सत्यापन नही किया है.