उत्‍कृष्‍ट शिक्षकों की कथाएं
समस्‍त गुरुजनों के चरणों में वंदना करते हुये में आज से शिक्षकों के उत्‍कृष्‍ट कार्यों की कथाएं कहना प्रारंभ कर रहा हूं. शिक्षकों के इन कार्यों से मैं तो अभिभूत हूं, ही, मुझे विश्‍वास है कि आप सब भी प्रभावित होंगे. मुझे इस बात की भी आशा है कि शिक्षक भी इन कहानियों को पढ़कर एक दूसरे से सीख सकेंगे.

बच्‍चों को विज्ञान के जादूई प्रयोगों से पढ़ाने वाले विवेकानंद दिल्‍लीवार

विवेकानंद दिल्‍लीवार की प्रथम नियुक्ति 15.07.1986 को शासकीय प्राथमिक शाला पेंड्री जिला बेमेतरा में हुई थी. वर्तमान में वे उच्च वर्ग शिक्षक के पद पर शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला कुथरेल, जिला दुर्ग में पदस्थ हैं. इनकी विशेष रुचि पर्यावरण एवं विज्ञान को जादुई प्रयोग से बच्चों को समझाना है. राज्य स्त्रीय टीएलएम वेबीनार में भाग लेकर प्रेजेंटेशन देने एवम डाइट के सभी प्रशिक्षणों में गणित विषय पर मास्टर ट्रेनर्स के रूप में इनकी अलग पहचान है.

कोरोना काल मे लोगों के किसी भी जगह इकट्ठा होने पर प्रतिबंध था. स्कूल और आंगनबाड़ियों को भी बंद कर दिया गया था. इस त्रासदी से सबसे ज्यादा कोई प्रभावित शिक्षा थी. विवेकानंद जी कोरोना काल मे ऑनलाइन क्लास लेने के साथ मोहल्ला क्लास भी लेते थे. उन्‍होने प्रिंटरिच वातावरण बनाने के लिये स्वयं दीवारों पर लेखन का कार्य किया. खेल-खिलौने एवम टीएलएम बना कर पढ़ाने में अपनी विशेष पहचान बनाने वाले विवेकानंद दिल्लीवार ने कोरोना काल मे भी बच्चों को अपने नए-नए नवाचारों से पढ़ाई से जोड़ के रखा.

उपलब्धियां
  1. मोहल्ला कक्षा - इन्होंने जनप्रतिनिधियों से संपर्क करके कोरोना काल में मोहल्ला कक्षाओं का संचालन किया तथा ऑनलाइन एवं ऑफलाइन मोड में बच्चों को पढ़ाया.
  2. मास्क का वितरण - कोरोना काल मे ग्राम सरपंच श्रीमती प्रेरणा चंद्राकर के व्दारा बच्चों की सुरक्षा के दृष्टिकोण से मोहल्ला कक्षा मे मास्क का वितरण कराया गया.
  3. टीएलएम तकनीक – वे टीएलएम तकनीक से गणित का अध्यापन करवाते हैं. गणित विषय को और सरल एवं रोचक तरीके से समझने के लिए टीएलएम तकनीक का उपयोग उनके विद्यालय में किया जा रहा है.
  4. कबाड़ से जुगाड़ – उन्‍होने स्कूली बच्चों को कबाड़ से जुगाड़ के माध्यम से शिक्षा से जोड़े रखा है. वेस्ट मटेरियल को बेस्ट मटेरियल में बदलने की कला कोई इनसे सीखे. पालीथिन, पेपर, पेंट के डिब्बे आदि से वायुदाब के कई प्रयोग दिखा कर बच्चों को आनन्ददायी शिक्षा इनके व्दारा दी जा रही है.
  5. शिक्षा गोद – विवेकानंद जी 2 बच्चों को शिक्षा गोद लेकर कक्षा 6 से 12 तक की पढ़ाई का खर्च स्वयं वहन कर रहे हैं. वर्तमान में दोनों बच्चे कक्षा 11वीं में अध्ययनरत हैं.
  6. पर्यावरण के प्रति बच्चों को जागरूक बनाना – विवेकानंद जी ने अपने गांव में कुल 80 वृक्ष लगाए हैं, जिनकी देखरेख की जिम्मेदारी भी ली है. इससे बच्चों को प्रेरणा मिली है.
  7. राष्ट्रीय बाल विज्ञान मेला हेतु बच्चों को प्रोत्साहन - स्कूली बच्चों को राष्ट्रीय बाल विज्ञान मेले में भाग लेने हेतु उनके व्दारा प्रोत्साहित किया जाता है. जादुई प्रयोग दिखा कर विज्ञान विषय के प्रति बच्चों में लगाव पैदा कर मनोरंजक तरीके से अध्यापन का कार्य किया जा रहा है.
  8. समुदाय के साथ कार्य - गांव की समस्त माताओं बहनों को एक साथ तीज भोजन खिलाकर ब्लाउज कपड़ा वितरण करते हैं. विवेकानंद दिल्लीवार जी बाल सुधार गृह दुर्ग के तकनीकी सदस्य रहकर अपचारी बच्चों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने एवम सवलम्बी बनाने बच्चों के लिये घरेलू वायरिंग करना, पंखा वाइंडिंग करना आदि सिखाते हैं. इन्हें मुख्यमंत्री गौरव अलंकरण के अंतर्गत ज्ञानदीप से सम्मानित भी किया गया है.
  9. बचत बैंक का संचालन - नवाचारी शिक्षक विवेकानन्द दिल्लीवार बच्चों को नशे से दूर रखने एवं बचत करने की आदत डालने साथ बैंक के क्रियाकलापो को प्रायोगिक रूप से समझाने के लिये नौनिहाल बैंक कुथरेल का सन्चालन करते हैं.
  10. व्यसायिक शिक्षा - शिक्षक विवेकानंद दिल्लीवार ग्रीष्मकालीन अवकाश में बच्चों को पापड़, झाड़ू एवं एलईडी बल्ब निर्माण का प्रशिक्षण देते हैं. इनकी शाला में व्यावसायिक शिक्षा हेतु कोई राशि प्राप्त न होने के बावजूद इनके व्दारा व्यावसायिक शिक्षा पर काफी ध्यान दिया जा रहा है. इनकी बनाई बंदर भगाने की बंदूक की रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में लगी प्रदर्शनी में मांग इतनी थी कि एक भी बंदूक नही बची. दीपावली के समय बच्चों ने इस बंदूक को बेचकर ₹5000 की राशि भी अर्जित की थी.
अस्‍वीकरण: मैने यह कहानियां संबंधित शिक्षकों एवं उनके मित्रों व्दारा दी गयी जानकारी के आधार पर लिखी हैं, स्‍वयं उनका सत्‍यापन नही किया है.

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