उत्‍कृष्‍ट शिक्षकों की कथाएं
समस्‍त गुरुजनों के चरणों में वंदना करते हुये में आज से शिक्षकों के उत्‍कृष्‍ट कार्यों की कथाएं कहना प्रारंभ कर रहा हूं. शिक्षकों के इन कार्यों से मैं तो अभिभूत हूं, ही, मुझे विश्‍वास है कि आप सब भी प्रभावित होंगे. मुझे इस बात की भी आशा है कि शिक्षक भी इन कहानियों को पढ़कर एक दूसरे से सीख सकेंगे.

ललित कला के माध्‍यम से मधुलिका दुबे की सफलता की कहानी

मधुलिका दुबे शिक्षिका की प्रथम नियुक्ति सन् 1998 में कोरबा जिले के सुदूर वनांचल में स्थित विकासखंड करतला के दूरस्थ ग्रामीण अंचल की प्राथमिक शाला संडैल में हुई थी. प्रारंभ में निवास स्थान से 8 किलोमीटर दूर उबड़-खाबड़, पथरीले रास्तों को देखकर उनका मन उदास होने लगा था. सुनसान सड़क पर एक नारी के लिए उस गाँव तक रोज आना-जाना एक बड़ी चुनौती थी. मन के किसी कोने में पूर्वजों की यादों और संघर्षों की कहानी संजोये रखी थी, जिसने उनके भीतर शक्ति का संचार किया और एक नई सोच के साथ एक नई साइकिल लेकर मुस्कुराते हुए निकल पड़ीं सफर में.

इरादे नेक और हौसले बुलंद थे, जिससे रास्ते आसान लगने लगे. शिक्षक बनने के उत्साह से मन बहुत आल्हादित, था इसलिए पूरी निष्ठा, ईमानदारी, लगन और परिश्रम के साथ कुछ कर जाने का जज्बा भी उन्‍हे निरंतर आगे बढ़ने के लिए सदा प्रेरित करता रहा. उस समय बालिका शिक्षा का दर बहुत ही कम थी और विद्यार्थी विद्यालय में बहुत कम आते थे. उन्‍होने इस विषय पर चिंतन करके मन में कार्ययोजना बनाते हुए सबसे पहले पालक संपर्क की शुरुआत की. पालकों से चर्चा-परिचर्चा की. इससे बच्चे और पालक उनसे जुड़ते चले गए और विद्यार्थियों की उपस्थिति में धीरे-धीरे वृध्दि होती गई.

इसके कुछ दिन पश्चात उन्‍होने खेल-खेल में शिक्षा, चित्रकारी, अक्षर कार्ड, गिनती कार्ड बनाकर उनकी सबसे प्रिय विधा – ललित कला के माध्‍यम से शिक्षा देना प्रारंभ किया. बच्चों को अतिरिक्त समय देकर चित्रकारी, रंगोली और सांस्कृतिक गतिविधियों में जोड़ने का प्रयास करना शुरू कर दिया. इससे विद्यार्थियों की उपस्थिति में आश्चर्यजनक वृध्दि हुई जिससे उनका मन गदगद हुआ और उत्साह से भर गया.

26 जनवरी 1999 के कार्यक्रम में समस्त ग्रामवासी एवं सरपंच महोदय व्दारा शाल श्रीफल से विशेष रूप से सम्मानित किया गया जो उनके लिसे किसी नोबेल पुरस्कार से कम नहीं था. शिक्षकीय जीवन में उन्‍होने हर चुनौती को स्वीकार किया. पदोन्नति के फलस्वरूप स्थानांतरण होने पर गाँव वालों और बच्चों की आँखों में आंसू देख कर अनुभूति हुई की उनका शिक्षकीय जीवन सार्थक हो रहा है.

अपनी नई पदांकित संस्था विकासखंड करतला की पूर्व माध्यमिक शाला जमनीपाली आते ही उन्‍होने दोगुने उत्साह से काम करना शुरू कर दिया. नियमित विद्यालय जाने, पूरे समय का सदुपयोग कर के, पूरी निष्ठा व ईमानदारी से उन्‍होने अनेक विधाओं में कार्य प्रारंभ कर दिया उनमें से कुछ कार्य निम्नानुसार हैं -

  1. कबाड़ से जुगाड़ - नवाचारों पर आधारित सोच को साकार करने हेतु उन्‍होने ललित कला विधा को चुना. उन्‍होने विद्यार्थियों को अतिरिक्त समय देकर घोंघी, सीपी, मटर दाने, पुराने कागज, पत्थर, कोयला, काँच, गत्ता इत्यादि सामग्रियों का प्रयोग कर के विद्यालय को सजाने का हर संभव प्रयास किया. इस दौरान स्वयं के व्यय से विद्यार्थियों का सहयोग लेकर सभी कक्षाओं को सजाया. ललित कला के क्षेत्र में विद्यालय को अनेकों सम्मान मिले हैं तथा समाचार पत्रों में स्थान भी मिला है. विद्यालय में आने वाले लोग ललित कला को देखकर दांतों तले ऊंगली दबा लेते हैं, और मुक्तकंठ से प्रशंसा किये बगैर नहीं रहते.
  2. टी.एल.एम. का प्रयोग - बच्चों को सरल तरीके से सीखने और समझने के लिए टीएल.एम. का प्रयोग विद्यालय में कराया जाता है.
  3. पढ़ाई तुँहर दुवार - हमारे विद्यालय को ललित कला के क्षेत्र में किए गए कार्य हेतु पढ़ाई तुँहर दुवार में स्थान मिला है.
  4. ललित कला सम्मान - ललित कला के क्षेत्र में नवाचार करने पर विभिन्न समाचार पत्रों में स्थान व सम्मान मिला है। ललित कला के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए भारत नवाचारी सम्मान, अक्षय अलंकरण सम्मान, मुख्यमंत्री गौरव अलंकरण सम्मान सहित अनेकों सम्मान से नवाजा गया है.
  5. साहित्यिक गतिविधियाँ - विद्यालय स्तर पर साहित्यिक गतिविधियों के व्दारा बच्चों में काव्य लेखन कौशल पर ध्यान देकर उनके प्रतिभा को सामने लाने का प्रयास जारी है. उनके अनेकों काव्य संग्रह प्रकाशित हुए हैं.
  6. सांस्कृतिक गतिविधियाँ
  7. मूर्तिकला - विद्यालय का एक विद्यार्थी इतनी अच्छी मूर्तियां बना लेता है कि गाँव वालों को गणेश उत्सव के लिए मूर्ति खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती. आज बच्चे ललित कला में निरंतर निपुण होते जा रहे हैं जिससे वे आगे चलकर इसे भी रोजगारपरक भी बना सकते हैं.
अस्‍वीकरण: मैने यह कहानियां संबंधित शिक्षकों एवं उनके मित्रों व्दारा दी गयी जानकारी के आधार पर लिखी हैं, स्‍वयं उनका सत्‍यापन नही किया है.

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