उत्‍कृष्‍ट शिक्षकों की कथाएं
समस्‍त गुरुजनों के चरणों में वंदना करते हुये में आज से शिक्षकों के उत्‍कृष्‍ट कार्यों की कथाएं कहना प्रारंभ कर रहा हूं. शिक्षकों के इन कार्यों से मैं तो अभिभूत हूं, ही, मुझे विश्‍वास है कि आप सब भी प्रभावित होंगे. मुझे इस बात की भी आशा है कि शिक्षक भी इन कहानियों को पढ़कर एक दूसरे से सीख सकेंगे.

जहाँ चाह वहाँ राह का पर्याय - संतोष कुमार पटेल

कोरोनाकाल में जब बच्चे पढ़ना लिखना भूल गए थे, उस समय संतोष कुमार पटेल ने पढ़ाई की निरंतरता को बनाये रखा. इन्होंने बच्चों के घर को ही शाला बना दिया. हर घर मे गिनती, वर्णमाला, पहाड़ा, अल्फाबेट के चार्ट स्वयं के व्यय से लगाये, एवं पालकों की मदद से असंभव को संभव कर दिखाया. इनकी मेहनत का प्रतिफल यह रहा कि प्राथमिक शाला बालमगोड़ा से तीन बच्चों का एकलव्य आवासीय विद्यालय में चयन हुआ. इन्होंने इस निरंतरता को बनाये रखा और फिर अगले साल दो बच्चों का एकलव्य में चयन हुआ. इनके दो विद्यार्थियों का नवोदय में भी चयन हो चुके है. शिक्षक संतोष कुमार पटेल अपने स्वयं के व्यय से बच्चों के नवोदय व एकलव्य का फार्म भरवाते हैं एवं परीक्षा की तैयारी कराते हैं. परीक्षा केंद्र तक लेकर भी जाते हैं.

शिक्षा का बेहतर माहौल व शाला के आकर्षक परिदृश्य के चलते आसपास के गाँव के बच्चे भी पढ़ने आते हैं. पढ़ाई के अलावा खेल में भी यहाँ के बच्चों का प्रदर्शन उत्कृष्ट रहा है. चाहे समूह खेल हो या एकल खेल, यहाँ के बच्चे ब्लॉक स्तर पर प्रथम स्थान पर अपनी जगह बना चुके हैं. शिक्षक सृजनात्मक क्षेत्र में भी रुचि रखते हैं जिससे इनकी हिन्दी व अंग्रेजी की कविता किलोल बुक में प्रकाशित हो चुकी है.

इन्होंने अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के साथ तीन साल तक शोध कार्य भी किया. इनकी शोध की पुस्तक "मेरी शाला" में प्रकाशित हो चुकी है, जो देश के अन्य राज्यों में भी पढ़ी जा रही है. शिक्षक ने कक्षा 1ली व 2री के हिंदी पाठ का छत्तीसगढ़ी में अनुवाद भी किया और अनुवादक के रूप में इनका नाम पाठ्यपुस्तक में छपा है. अरबिंदो सोसायटी व्दारा रोल मॉडल स्कूल के रूप में भी इनके स्कूल का चयन किया गया है.

माताओं को शाला से जोड़े रखने के लिए शिक्षक व्दारा प्रतिवर्ष अंर्तराष्ट्रीय महिला दिवस पर सभी माताओं को उपहार दिया जाता है. यहाँ के पालक बैठकों में शत प्रतिशत उपस्थिति देते हैं. नई शिक्षा नीति में खिलौने से शिक्षा हेतु राज्य स्तर पर "हमारे नायक" में भी इनका चयन हो चुका है. उत्कृष्ट कार्यों के चलते मुख्यमंत्री जी के हाथों इन्हें "शिक्षादूत" पुरुस्कार व "राज्यपाल पुरुस्कार" भी प्राप्त हो चुका है.

अस्‍वीकरण: मैने यह कहानियां संबंधित शिक्षकों एवं उनके मित्रों व्दारा दी गयी जानकारी के आधार पर लिखी हैं, स्‍वयं उनका सत्‍यापन नही किया है.

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