उत्‍कृष्‍ट शिक्षकों की कथाएं
समस्‍त गुरुजनों के चरणों में वंदना करते हुये में आज से शिक्षकों के उत्‍कृष्‍ट कार्यों की कथाएं कहना प्रारंभ कर रहा हूं. शिक्षकों के इन कार्यों से मैं तो अभिभूत हूं, ही, मुझे विश्‍वास है कि आप सब भी प्रभावित होंगे. मुझे इस बात की भी आशा है कि शिक्षक भी इन कहानियों को पढ़कर एक दूसरे से सीख सकेंगे.

सुविधाविहीन गांवों के बच्चों के उत्थान में समर्पित - देवेंद्र कुमार देवांगन

शिक्षक की नौकरी मिलने पर देवेन्‍द्र कुमार देवांगन ने 17 अगस्त 2006 को जिस विद्यालय में कार्यभार ग्रहण किया वह भवन विहीन था. वे ईमली के पेड़ के नीचे बच्चों को पझ़ाते थे. बरसात के दिनों में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था. इसी तरह उन्‍होने इमली के पेड़ के नीचे 6 वर्षों तक बच्चों को नियमित अध्ययन कराया.

2014 में ग्राम पंचायत के सहयोग से दो कमरों का विद्यालय भवन बना. परन्‍तु एक कमरा पूरी तरह से अंधेरा था. एक ही कमरे में सभी बच्चों को अध्ययन कराना, किसी चुनौती से कम नहीं था. श्री देवेन्‍द्र कुमार देवांगन 13 वर्षों से अकेले शिक्षक के रूप में अपने स्‍कूल में कार्य कर रहे हैं. गरीबी के कारण मौसमी फलों एवं वनोपज एकत्रित करने के लिए पालक बच्चों को अपने साथ वन में ले जाते थे, जिसके कारण बच्चे विद्यालय नहीं आते थे. श्री देवेन्‍द्र कुमार देवांगन ने 2014 में स्‍कूल के बच्‍चों के साथ वानर सेना का गठन किया. इस वानर सेना का कार्य था, बच्चों के घर जाकर उन्‍हें विद्यालय आने के लिये प्रेरित करना. पालक जब तक बच्चे को लेकर स्‍कूल नहीं आते थे तब तक वानर सेना के बालक उनके घर में ही बैठे रहते थे. वानर सेना की वजह से विद्यालय की उपस्थिति में उल्‍लेखनीय वृध्दि हुई.

जिला मुख्यालय से 22 किलोमीटर दूर स्थित होने के कारण किसी भी प्रकार की आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध नहीं थीं. श्री देवेन्‍द्र कुमार देवांगन ने धान कुटनी, जोड़ मशीन, पहाड़ा मशीन, अबूझमाड़ वीडियो, 30 अंक लाओ चॉकलेट खाओ, गुठली का खेल जैसे अनेक नवाचार किये जो बच्चों के लिए वरदान साबित हुए. 2018 में श्री देवेन्‍द्र कुमार देवांगन ने गांव की युवक एवं युक्तियों को साथ लेकर विवेकानंद स्व-सहायता समूह का गठन किया. इस संगठन ने गांव के युवक-युक्तियां से ₹100 जमा करके स्थानीय हाट बाजारों में उनके लिए रोज़गार के साधन, होटल तथा वन उपज खरीदी करने का कार्य प्रारंभ किया गया. अपनी संस्कृति से जोड़ने के प्रयास में विवेकानंद नर्तक दल का गठन किया.

कोविड-19 के दौरान जब संपूर्ण देश में लॉकडाउन था, तब उन्‍होने ज्ञान ज्योति प्राथमिक शाला कोडोली के बच्चों को मोहल्ला क्लास के माध्यम से लगातार अध्ययन कराया और 4 ग्राम पंचायतों के 13 स्थानों पर मोहल्ला क्लास, लाउडस्पीकर क्लास आदि के माध्यम से लगभग 300 बच्चों अध्ययन से जोड़े रखा. वे लगातार अपनी मोटरसाइकिल से कक्षाएं लेने जाते थे इसलिये उनका नाम मोटरसाइकिल गुरु जी पड़ गया.

उनके कार्यों के लिये उन्‍हें मुख्यमंत्री गौरव शिक्षा अलंकरण प्राप्त हुआ है. 14 नवंबर 2021 को जवाहरलाल नेहरु समागम पुरस्कार मिला. ज्ञान ज्योति प्राथमिक शाला कोडोली में 18 नवंबर 2021 से अभिभावक मित्र का गठन किया गया. अभिभावक मित्रों के सहयोग से शाला का विकास दिनोदिन हो रहा है. अभिभावक मित्रों के सहयोग से विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति प्रतिदिन 100% रहती है.

अति दूरस्‍थ तथा संवेदनशील नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के कारण आधुनिक सुख सुविधा की कमी है. यहां तक की बिजली भी बहुत कम रहती है, जिससे बच्चों की पढ़ाई रात्रि में नहीं हो पती. अभिभावक मित्रों के सहयोग से प्रातःकालीन अध्ययन में गांव के युवा श्री मनकुर वडडे सहायता करते हैं. श्री देवेन्‍द्र देवांगन की सहयता से मनुकर जी दसवीं और बारहवीं की परीक्षा छत्तीसगढ़ राज्य ओपन स्‍कूल से उत्‍तीर्ण कर चुके हैं. 5 सितंबर 2023 को श्री देवेन्‍द्र कुमार देवांगन को महामहिम राज्यपाल महोदय के हाथों राज्य शिक्षक सम्मान प्राप्त हुआ.

अस्‍वीकरण: मैने यह कहानियां संबंधित शिक्षकों एवं उनके मित्रों व्दारा दी गयी जानकारी के आधार पर लिखी हैं, स्‍वयं उनका सत्‍यापन नही किया है.

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