सजीव जगत में संगठन

सभी प्राणी और पौधे छोटी-छोटी कोशिकाओं से मिलकर बने होते हैं. बहुत से सूक्ष्‍मजीवी, जैसे, अमीबा आदि एक ही कोशिका से बने होते हैं. सजीव जगत का सबसे छोटा भाग कोशिका है. एक कोशिका से बने हुए जीवों को एक-कोशीय तथा बहुत सी कोशिकाओं से बने हुए जीवों को बहु-कोशीय कहते हैं. कोशिका को देखने के लिये सूक्ष्मदर्शी की आवश्यकता होती है. यदि आपके पास स्कूल में सूक्ष्‍मदर्शी न हो तो किसी स्मार्टफोन के कैमरे पर एक बूंद पानी की डालकर सूक्ष्‍मदर्शी बनाया जा सकता है. इस संबंध में एक वीडियो नीचे दिया गया है –

प्याज़ की कोशिकाएं दिखाने की गतिविधि – चित्र में दी गई विधि के अनुसार प्याज की झिल्ली का स्लाइड वनाएं और उसे सूक्ष्मदर्शी से देखें.

आपको नीचे दिये गए चित्र के अनुसार प्याज़ की को‍शिकाएं दिखाई देंगी. बच्चों को बताएं कि प्याज़ की झिल्ली में बहुत सी छोटी-छोटी कोशिकाएं हैं जो सूक्ष्मदर्शी से देखी जा सकती हैं.

गाल की अंदरूनी सतह की खुरचन में कोशिकाएं दिखाने की गतिविधि- नीचे दिये गए चित्र में बताए अनुसार गाल की अंदरूनी सतह की खुरचन का स्लाइड बनाएं.

स्लाइड को सूक्ष्‍मदर्शी से देखने पर बच्चों को गाल की अंदरूनी सतह की कोशिकाएं दिखाई जा सकती हैं. ये कोशिकाएं नीचे दिये गए चित्र के अनुसार दिखती हैं –

जीवों में विभिन्न स्तरों का संगठन – जैसा कि इस अध्याय में पहले बताया है, सभी जीव कोशिकाओं से बने हैं. कोशिकाएं मिलकर उत्तक बनाती हैं. उत्तकों से अंग बनते हैं. अंग मिलकर अंग तंत्र बनाते हैं, और अंग-तंत्रों से मिलकर पूरा शरीर बनता है. इस संबंध में एक वीडियो देखिये –

पादप उत्तक – किसी पौधे के तने की काट बनाकर उसे सेफ्रेनिन अथवा लाल स्याही से स्टेन करके सूक्ष्‍मदर्शी से देखने पर पौधे के उत्तक देखे जा सकते हैं. तने की काट बनाने के लिये एक तेज़ धार (नये) रेज़र ब्लेड का उपयोग किया जाता है. नीचे दिये गये वीडियो में तने की काट लेने का तरीका दिखाया गया है.

पौधों में मुख्य रूप से 4 प्रकार के उत्तक पाये जाते हैं –

  1. प्रविभाजी उत्तक – इनमें कोशिकाओं में विभाजन होता है, और इनसे ही पौधे के तने और जड़ में बढ़त होती है.
  2. त्वचीय उत्तक – यह तने, पत्ती , जड़ आदि की बाहरी परत बनते हैं.
  3. संवहनी उत्तक – यह जड़ व्दारा अवशोषित जल को पत्तियों तक ले जाते हैं (जलवाहिनी या ज़ाइलेम) और पत्तियों व्दारा बनाये गए भोजन को पौधे के सभी अंगों तक ले जाते हैं (रसवाहिनी या फ्लोएम).
  4. भरण उत्तक – यह अन्य उत्तकों के बीच का स्थान भरने के काम आते हैं.

तने की काट सूक्ष्‍मदर्शी से नीचे के चित्र के अनुसार दिखती है –

नीचे दिये चित्र में संवहनी उत्तक का कार्य दिखाया गया है –

पौधों के विभिन्न उत्तकों को एक और चित्र में देखिये –

जंतुओं के उत्तक – जंतुओं के उत्तक 4 प्रकार के होते हैं: -

  1. एपीथीलियल उत्त‍क - यह उत्तक शरीर के अंगों की बाहरी तथा भीतरी सतह बनाते हैं, जैसे हमारी त्वचा, या फिर हमारे गाल की अंदरूनी सतह, आमाशय और अंतडियों की अंदरूनी सतह आदि. एपीथीलियल उत्तक अपनी कोशिकाओं के आधार पर 3 प्रकार के होते हैं जैसा कि नीचे चित्र मे दिखाया गया है.

    गले, और अंतडियों के एपीथीलियम में कोशिकाओं की आंत के अंदर वाली सतह पर अक्सर बाल जैसे निकले होते हैं. इन्हें सीलिया कहते हैं. यह लगातार एक दिशा में गति करते हैं, जिससे म्यूकस आदि आंत की सतह पर अंदर की ओर जाता है.

  2. पेशीय उत्तक - यह हमारे शरीर की मांस पेशियां बनाते हैं जिससे हम गति कर सकते हैं. पे‍शीय उत्तक 3 प्रकार के होते हैं.

    सर्वप्रथम ऐच्छिक पेशीय उत्तक हैं जिन पर धारियां जैसी बनी होती हैं. इन पेशियों को हम अपनी इच्छा से हिला सकते हैं. दूसरे नंबर पर अनैच्छिक पेशियां होती है. इनमें धारियां नहीं होतीं. यह हमारी इच्छा से नहीं बल्कि आवश्यकता होने पर स्वयं गति करती हैं. उदाहरण के लिए आंत की पेशियां. तीसरे प्रकार की पेशियां हृद पेशी उत्तक की होती हैं, जो हृदय में पाई जाती हैं. इनमें धारियां तो होती हैं परंतु साथ ही इनकी कोशिकाएं एक दूसरे से जुड़ी हुई होती हैं.

    पेशीय उत्तक में एक्टिन और मायोसिन नाम की 2 प्रोटीन होती हैं, जो एक दूसरे में गुंथी हूई होती हैं. इन्ही के कारण पेशीय उत्‍तकों में धारियां दिखती हैं. जब एक्टिन और मायोसिन एक दूसरे से दूर जाकर ढ़ीली पड़ जाती हैं तो पेशी ढ़ीली होती है और जब यह प्रोटीन एक दूसरे के करीब आकर एक दूसरे में गुंथ जाती हैं तो पेशी कस जाती है.

  3. संयोजी उत्तक - संयोजी उत्तक शरीर के अंगों के अन्य उत्तकों के बीच भरे होते हैं. यह शरीर को ताकत भी देते हैं और परिवहन का काम भी करते हैं. रक्त‍, मज्जा, हड्डी, कार्टिलेज, वसा आदि सभी संयोजी उत्तक हैं. विभिन्न प्रकार के संयोजी उत्तक नीचे चित्र में दिखाये गये हैं –

  4. तंत्रिका उत्तक - तंत्रिका उत्तक मस्तिष्क से जानकारी अन्य अंगों तक तथा अन्य अंगों से मस्तिष्क तक ले जाने का काम करते हैं. यह जानकारी वे बिजली की धारा के रूप में ले जाते हैं. इसे नीचे चित्र में दिखाया गया है –

जंतुओं में पाये जाने वाले चार प्रकार के उत्तकों पर एक वीडियो देखिये –

संगठन का उच्च स्तर (बायोस्फियर) – संगठन का सबसे छोटा स्तर एक कोशिका है. अनेक कोशिकाओं से मिलकर उत्तक बनते हैं, उत्तकों से अंग, उनसे अंग प्रणालियां तथा इन सबसे मिलकर शरीर बनता है. इस प्रकार पौधे और जंतु एक स्थान पर मिलकर रहते हैं. यदि पृथ्वी से सारे सजीवों के संगठन को एक साथ देखा जाये तो इसे बायोस्फियर कहते हैं.

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