अम्ल, क्षार एवं लवण

पाठ्य पुस्तक में अम्ल, क्षार एवं लवण के गुणों के विषय में विस्तार से बताया गया है. बच्चों को पुस्तक के अनुसार इन गुणों की जानकारी दें. अम्ल एवं क्षार की पहचान के लिये विभिन्न प्रकार के रंजक (Indicator) का प्रयोग किया जाता है. विज्ञान की प्रयोगशाला में प्राय: लिटमस कागज़ का उपयोग करते हैं. परंतु हम अनेक प्रकार के फूलों के रंगों का उपयोग इस हेतु कर सकते हैं. विभिन्न: फूलों की पंखुडि़यों को कागज़ पर रगड़कर उनके रस से कागज़ को रंगीन बनाया जा सकता है और इस कागज़ का उपयोग अम्ल एवं क्षार की पहचान के लिये किया जा सकता है. उदाहरण के लिये –

  1. गुड़हल के फूलों को कागज़ पर रगड़ने से कागज़ नीला हो जाता है. इस कागज़ को यदि अम्ल में डालें तो लाल हो जायेगा और क्षार में डालने पर पुन: नीला हो जायेगा.
  2. हल्दी का रंग वैसे तो पीला होता है परंतु क्षार में यह लाल हो जाता है.
  3. इसी प्रकार पेट्यूनिया, पापी, जरमेनियम आदि फूलों का उपयोग भी किया जा सकता है.
  4. लाल पत्तागोभी और लाल मूली का उपयोग भी कर सकते हैं.

गतिविधि – बच्चों से स्कूल के अथवा अपने घर के बगीचे से विभिन्न प्रकार के फूल एकत्रित करके मंगायें और उन्हें कागज़ पर रगड़कर फिर अम्ल और क्षार में डालकर देखने को कहें. अम्ल के रूप में नीबू का रस का तथा क्षार के रूप में खाने का सोडा उपयोग किया जा सकता है. बच्चों से इन फूलों की एक तालिका बनाकर उसमें अम्ल तथा क्षार में उनके रंग लिखने को कहें.

गंध से अम्ल और क्षार की पहचान – कुछ पदार्थों की गंध पर भी अम्ल एवं क्षार का असर होता है. उदाहरण के लिये प्याज़ की गंध क्षारीय पदार्थों में नहीं आती. प्याज़ को एक कपड़े पर खूब रगड़ें. कपड़े को सूंघ कर देखें. उसमें प्याज़ की गंध होगी. अब यदि इस कपड़े पर सोडियम हाईड्राक्साइड का घोल डालेंगे को गंध समाप्त हो जायेगी. इसी प्रकार वैनिला की गंध क्षारीय विलयनों में नहीं आती है.

अम्ल धातुओं के साथ क्रिया करके हाइड्रोजन गैस तथा कार्बोनेट के साथ क्रिया करके कार्बन-डाई-आक्साइड गैस बनाते हैं – यह दिखाने के लिये हमें गैस बनाने का प्रयोग कक्षा में करना होगा. इसके लिये एक कांच की बोतल में कार्क लगाकर बंद करें. इसके बाद एक टब में पानी भर लें. किसी बड़े मुह की बोतल के ढ़क्कन के बीचो-बीच एक छेद बना लें, और इस ढ़क्कन को एक ओर से थोडा सा काट लें जिससे प्‍लास्टिक का ट्यूब उसके नीचे से आसानी से डाला जा सके. अब पास के अस्पताल से एक ड्रिप सेट ले आयें. ड्रिप सेट की सुई को कांच की बोतल में लगे कार्क में इस प्रकार घुसा दें कि सुई बोतल के अंदर तक पहुंच जाये. अब छेद किये हुए ढक्कन को पानी भरे टब में रखें और ड्रिप सेट का ट्यूब इस ढ़क्कन के नीचे डाल दें. एक साधारण प्लास्टिक की बोतल में पानी भरकर उसे इस ढ़क्कन के ऊपर उल्टा रख दें. गैस बनाने के लिये आपका उपकरण तैयार हो गया.

पहला प्रयोग करने के लिये कांच की बोतल में थोड़ा सा जिंक डालें और उसके ऊपर हाईड्रोक्लोरिक अम्ल डाल कर बोतल में तुरंत कार्क लगा दें. किसी भी साधारण टार्च सेल का बाहरी खोल जिंक का बना होता है, इसलिये आप इससे जिंक आसानी से प्राप्त कर सकते हैं. आपको एक गैस बुलबुलों के रूप में टब में ढ़क्कन पर रखी बोतल में जाती दिखेगी. बोतल भर जाने पर बोतल के मुंह पर हाथ लगाकर उसे बंद कर लें और बोतल को उठा लें. अब आप इस गैस के गुणों की जांच कर सकते हैं. यदि इसके पास माचिस की जलती हुई तीली लायी जायेगी तो यह नीली लौ के साथ जल उठेगी. इससे पता लगता है कि यह गैस हाईड्रोजन है. दूसरे प्रयोग के लिये हम चाक का प्रयोग कर सकते है. कांच की बोतल में चाक रखकर उसपर अम्ल डालने से एक गैस बुलबुलों के रूप में बनती है और टब में ढ़क्कन पर रखी बोतल में भर जाती है. जलती हुई माचिस की तीली इस गैस के पास लाने से तीली बुझ जाती है. इस गैस को चूने के पानी में प्रवाहित करने पर चूने का पानी दूधिया हो जाता है. इससे पता चलता है कि यह कार्बन-डाई-आक्साइड गैस है. क्षार बनाने के लिये हम मैग्नीशियम को जला कर उसकी राख को पानी में मिलाकर मैग्नीशियम हाईड्रोक्साइड बना सकते हैं. मैग्नीशियम का तार पटाखों की दूकानों में आसानी से मिल जायेगा. पेट की अम्लीयता कम करने की दवाएं भी क्षारीय होती हैं.

उदासीनीकरण और लवण – कोई क्षार एक बर्तन में लें. अब इसमें थोड़ा सा फिनाप्थलीन का घोल मिला दें. आपको गुलाबी रंग दिखेगा. इसके बाद एक स्याही का ड्रापर लेकर किसी अम्ल के घोल को बूंद-बूंद करके क्षार में तब तक मिलायें जब तक घोल रंगहीन न हो जाये. इस समय घोल में न तो अम्ल है और न ही क्षार है. अम्ल और क्षार एक दूसरे से रासायनिक क्रिया करके लवण बना देते हैं.

गतिविधियां

  1. बच्चों को अपने आस-पास घर तथा बाज़ार में मिलने वाले अम्ल, क्षार तथा लवण के नाम तथा उपयोग एक तालिका में लिखने को कहें.
  2. अम्ली‍य, क्षारीय एवं लवणयुक्त पदार्थों के चित्र एकत्रित करके उनका कोलाज बनवायें.
  3. बच्चों को यह वीडियो दिखाकर अग्निशमन यंत्र का माडल बनवायें -

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